Santan Gopal Mantra: An Effective Remedy for Progeny Bliss
According to Vedic scriptures, effective measures for achieving desired results include rituals, chanting, and fire offerings. Importantly, chanting (jap) the Santan Gopal Mantra with faith and concentration is the most powerful, bringing positive transformations based on the practitioner’s devotion.
For parents seeking progeny bliss but facing obstacles, scriptures recommend several remedies. Notably, the most powerful is the Santan Gopal Mantra. Dedicated to Lord Krishna, this mantra is referenced in the Sanatkumara Samhita and Mantra Mahodadhi, ensuring divine blessings.
Significance and Procedure of the Santan Gopal Mantra
The Santan Gopal Mantra is particularly beneficial for couples facing challenges in childbearing. Furthermore, regular and proper chanting ensures the birth of a knowledgeable and virtuous child. Importantly, unwavering faith and devotion are essential, as the mantra’s power hinges on belief.
Santan Gopal Mantra:
“Om Klim Devakisut Govinda Vasudeva Jagatpate,
Dehi Me Tanayam Krishna Tvaamaham Sharanam Gatah.”
Santan Gopal Mantra Ritual Process
The ritual begins with Kashipuram priests vowing before Lord Krishna and Goddess Shakti. They chant the Santan Gopal Mantra 125,000 times. Deities are worshiped, and participating priests’ names and gotras are announced, invoking blessings for progeny.
Each priest chants the mantra for 8-10 hours daily, reaching 125,000 chants. Afterward, they worship Lord Krishna and dedicate the ritual’s blessings to the devotee, ensuring all spiritual benefits are properly transferred.
Havan and Conclusion of the Santan Gopal Mantra Ritual
At the ritual’s end, a sacred fire (havan) is prepared. Ghee, sesame seeds, and mango wood are used as offerings. While chanting the Santan Gopal Mantra, the devotee walks around the havan kund five or seven times to conclude.
Importance of Sattvic Diet and Devotion During the Santan Gopal Mantra Ritual
Maintaining a sattvic diet during Santan Gopal Mantra chanting is essential. Lord Krishna, the mantra’s presiding deity, is highly revered. His blessings promote childbearing. Regular chanting removes obstacles to childbirth, ensuring a virtuous, cultured, and long-lived child is born.
Conclusion
For couples desiring parenthood, the Santan Gopal Mantra is an effective remedy. Chanted with devotion, it invokes Lord Krishna’s grace. With faith and a sattvic lifestyle, this mantra removes obstacles, blessing devotees with the joy of having a child.
Special Notes:
Spiritual Attitude: Conduct the ritual with full devotion and faith.
Purity: Maintain purity throughout the ritual and worship.
Guidance from a Guru: If possible, seek guidance from a qualified guru or tantric. Alternatively, Kashi Puram will
arrange for a qualified guru to assist with the ritual.
Material Arrangement by Kashi Puram: Kashi Puram will provide all ritual materials, with no additional fee. For personal rituals outside Kashi, the practitioner must arrange for the Brahmin priests’ travel, accommodation, and food.
Additional Information:
- The ritual will be conducted by the learned Brahmins of Kashipuram.
- After booking the ritual, the Kashipuram team will contact you to gather detailed information and, if necessary, connect you with the performing Brahmin priests.
- The Ritual, conducted by Brahmins with due formalities, depends on intent, proper practice, and divine will. Though 99 out of 100 individuals see positive results, outcomes also rely on fortune, home conditions, and destiny, resting ultimately in God’s hands.
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Detailed Description in Hindi :
संतान गोपाल मंत्र: संतान सुख की प्राप्ति का प्रभावी उपाय
वैदिक शास्त्रों के अनुसार, इच्छित फल के लिए अनुष्ठान और जप प्रभावी उपाय हैं। इनमें जप सबसे महत्वपूर्ण है। श्रद्धा और एकाग्रता से संतान गोपाल मंत्र का उच्चारण जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है। मंत्रों का प्रभाव आस्था पर निर्भर करता है।
जो माता-पिता संतान सुख की कामना करते हैं, उन्हें कई उपाय मिलते हैं। संतान गोपाल मंत्र का जप सबसे प्रभावशाली उपाय है। यह मंत्र भगवान कृष्ण को समर्पित है और इसका उल्लेख सनत्कुमार संहिता और मंत्र महोदधि में मिलता है।
संतान गोपाल मंत्र का महत्व और विधि
संतान गोपाल मंत्र विशेष रूप से संतान प्राप्ति में बाधा दूर करने के लिए फलदायी है। इस मंत्र का नियमित जप ज्ञानवान, गुणवान, और मेधावी संतान की प्राप्ति करता है। श्रद्धा और भक्ति आवश्यक हैं, क्योंकि इसका प्रभाव आस्था पर निर्भर करता है।
संतान गोपाल मंत्र:
“ॐ क्लीं देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते।
देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः।।”
संतान गोपाल मंत्र अनुष्ठान की प्रक्रिया
संतान गोपाल मंत्र अनुष्ठान की शुरुआत में, विद्वान आचार्य पंडित शिवजी भगवान कृष्ण और मां शक्ति के समक्ष बैठते हैं। फिर, वे जातक के लिए 125,000 बार मंत्र का जप करने का संकल्प लेते हैं। अंत में, सभी देवी-देवताओं की पूजा की जाती है।
इसके बाद, पंडित नियमित रूप से 8 से 10 घंटे तक संतान गोपाल मंत्र का जप करते हैं। इस तरह, निश्चित समय सीमा में 125,000 मंत्र पूरे किए जाते हैं। अंत में, भगवान श्रीकृष्ण की विधिवत पूजा की जाती है।
हवन और पूजा का समापन
संतान गोपाल मंत्र अनुष्ठान के अंत में, देशी घी, तिल और आम की लकड़ी से हवन कुंड में आहुति दी जाती है। मंत्र जाप करते हुए घी, तिल और नारियल अग्नि में समर्पित किए जाते हैं। अंत में, जातक चक्कर लगाकर अनुष्ठान समाप्त करता है।
संतान गोपाल मंत्र अनुष्ठान के दौरान सात्विक आहार और भक्ति का महत्व
संतान गोपाल मंत्र का जप करते समय, सात्विक आहार का पालन अनिवार्य है। भगवान कृष्ण इस मंत्र के देवता हैं, और उनका आशीर्वाद संतान सुख के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, नियमित जप से संतानोत्पत्ति में बाधाएं समाप्त होती हैं।
निष्कर्ष
अतः, जो दंपति संतान सुख की इच्छा रखते हैं, उनके लिए संतान गोपाल मंत्र एक अत्यंत प्रभावी उपाय है। इसके अलावा, विधिपूर्वक जप और अनुष्ठान भगवान कृष्ण की कृपा से सभी बाधाएं दूर करते हैं। इसके साथ, श्रद्धा और भक्ति से जप करने से संतान सुख प्राप्त होता है।
विशेष ध्यान दें:
- आध्यात्मिक भावना: अनुष्ठान को पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ करें।
- शुद्धता: पूजा और अनुष्ठान के दौरान शुद्धता बनाए रखें।
- गुरु का मार्गदर्शन: यदि संभव हो, तो किसी योग्य गुरु या तांत्रिक से मार्गदर्शन प्राप्त करें। अथवा काशीपुरम के माध्यम से इस अनुष्ठान को कराने पर आपको योग्य गुरु का सानिध्य प्रदान कराया जाएगा।
- काशीपुरम द्वारा अनुष्ठान कराये जाने पर अनुष्ठान सामग्री की व्यवस्था काशीपुरम ही करता है जिसके लिए अलग से किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है।
- काशी से बाहर व्यक्तिगत रूप से यह अनुष्ठान कराने पर ब्राह्मण पुरोहितों के आने जाने और रहने खाने की व्यवस्था यजमान को अलग से करनी पड़ेगी।
यह अनुष्ठान एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली प्रक्रिया है जो विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक उद्देश्यों के लिए की जाती है। यह न केवल भौतिक सुख और समृद्धि को लाता है, बल्कि आत्मिक उन्नति और सुरक्षा का भी आश्वासन देता है।
अतिरिक्त जानकारियां :
- यह अनुष्ठान काशीपुरम के विद्वान् ब्राह्मणों द्वारा आयोजित कराया जाएगा ।
- अनुष्ठान बुक करने के बाद काशीपुरम की टीम आपसे संपर्क करके विस्तृत जानकारी इकठ्ठा करेगी और आवयश्यकता पड़ने पर अनुष्ठान को आयोजित कराने वाले ब्राह्मण पुरोहित से भी बात कराया जाएगा।
- काशीपुरम के विद्वान ब्राह्मणों द्वारा अनुष्ठान पूरे विधि-विधान से संपन्न होता है, लेकिन इसका परिणाम भावना, उद्देश्य और सदुपयोग पर निर्भर करता है। हालांकि 99% लोगों को लाभ मिलता है, फिर भी अंतिम परिणाम भगवान की इच्छा और भाग्य पर निर्भर है।
धन्यवाद !