Tranquility is a stepping stone on the path to enlightenment. Amidst life’s chaos, inner peace is a rare luxury. Buddhism offers a sanctuary for the soul, providing clarity and contentment. Shree Sonam Yoden Gurung, known as Khenpo Karma Gendun, is a monk dedicated to spreading this serenity.
For over two decades, he has prepared monks to share Buddhism’s wisdom worldwide. As the principal of Vajra Vidya Institute, he has transformed countless lives.
Early Life
Shree Sonam was born on May 30, 1978, in Nepal. A troubled childhood led him to seek peace. At six, he vowed to pursue Buddhism and moved to Kathmandu. By age seven, he joined Namo Buddha Institute, marking the start of his spiritual journey.
A Transformative Journey
Despite hardships, Shree Sonam thrived in Buddhist education. He earned his ‘Tencho’ degree in Nepal and later pursued ‘Karpamjam’ (equivalent to a master’s degree) at Sarnath. Appointed as a teacher in Vajra Vidya Institute, he soon became a beacon of wisdom and tranquility.
In 2020, he became the institute’s principal. Under his leadership, over 600 monks have graduated, spreading Buddhism globally.
His Works
1. As an Educationist
Shree Sonam has been teaching at Vajra Vidya Institute Sarnath, Varanasi since 1999. His students follow a rigorous 12-year program inspired by Nalanda University. The curriculum includes meditation, mindfulness, logic, debate, and Tibetan grammar.
Today, around 200 students from various countries live and learn at the monastery. Graduates carry his teachings to over 50 institutions worldwide.
2. As an Author
He has authored 39 books, including **”Kadu”** and **”Raabiye.”** These books unravel Buddhism’s philosophies and secrets to mindfulness. His works have touched lives across the globe.
3. As Chairman of Publications
Shree Sonam leads two publishing houses: Khanayam Publications and Dharmakara Publications. These institutions release 10–15 books annually, promoting Buddhist teachings in multiple languages.
4. As an Environmentalist
His “Clean Ganga Initiative” successfully removed waste from the holy river. He also led a plantation drive, planting 100,000 trees near Bodh Gaya Airport. His efforts rejuvenated the environment and inspired others.
Awards and Recognition
Shree Sonam has received several accolades, including:
- Certificate of Honoris Signum in Buddhist Sutra and Tantra (2023).
- Certificate of Appreciation from the Government of Nepal (2024).
- International Icon Award.
Impact on Society
1. Promotion of Baudh Dharam
Shree Sonam has created over 600 monks who now teach globally. His books and teachings have elevated Buddhist philosophy, fostering inner peace in many lives.
2. Transforming Lives with Mindfulness
Through sessions and books, he helps people combat anxiety, depression, and stress. Attendees from countries like Mexico and Germany credit him for their mental well-being.
3. Environmental Conservation
His initiatives have improved water quality, air purity, and biodiversity. His plantation drives have transformed barren lands into thriving green spaces.
A Legacy of Serenity
Shree Sonam Yoden Gurung is a true visionary, guiding humanity toward enlightenment. His work as a teacher, author, and environmentalist has left an indelible mark on the world. Truly, he is a gift to mankind.
श्री सोनम योदेन गुरंग (खेन्पो कर्मा गेंडुन): शांति के प्रतीक
शांति, आत्मज्ञान के मार्ग पर पहला कदम है। जीवन की भागदौड़ में, आंतरिक शांति दुर्लभ होती है। बौद्ध धर्म आत्मा को सुकून और स्पष्टता प्रदान करता है। श्री सोनम योदेन गुरंग, जिन्हें खेन्पो कर्मा गेंडुन के नाम से जाना जाता है, इस शांति को फैलाने के लिए समर्पित हैं।
दो दशकों से अधिक समय से, उन्होंने भिक्षुओं को प्रशिक्षित किया है ताकि वे बौद्ध धर्म की शिक्षा को पूरी दुनिया में फैलाएं। वज्र विद्या संस्थान सारनाथ, वाराणसी के प्रधानाचार्य के रूप में, उन्होंने अनगिनत जीवन को बदल दिया है।
प्रारंभिक जीवन
श्री सोनम का जन्म 30 मई 1978 को नेपाल में हुआ था। कठिन बचपन ने उन्हें शांति की खोज में प्रेरित किया। छह साल की उम्र में, उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाने का निर्णय लिया और काठमांडू चले गए। सात साल की उम्र में, उन्होंने नामो बुद्ध संस्थान में प्रवेश लिया, जहां से उनकी आध्यात्मिक यात्रा शुरू हुई।
एक प्रेरणादायक यात्रा
कठिनाइयों के बावजूद, श्री सोनम ने बौद्ध शिक्षा में उत्कृष्टता प्राप्त की। उन्होंने नेपाल में ‘टेन्चो’ डिग्री (स्नातक के समकक्ष) हासिल की और बाद में सारनाथ में ‘कार्पमजम’ (स्नातकोत्तर के समकक्ष) की पढ़ाई की। वज्र विद्या संस्थान में शिक्षक के रूप में उनकी नियुक्ति हुई और जल्द ही वे ज्ञान और शांति के प्रतीक बन गए।
2020 में, वे संस्थान के प्रधानाचार्य बने। उनके नेतृत्व में 600 से अधिक भिक्षु स्नातक हुए, जो अब पूरी दुनिया में बौद्ध धर्म का प्रचार कर रहे हैं।
उनका कार्यक्षेत्र
1. एक शिक्षक के रूप में
श्री सोनम 1999 से वज्र विद्या संस्थान सारनाथ, वाराणसी में पढ़ा रहे हैं। उनके छात्र 12 साल के कठोर पाठ्यक्रम का पालन करते हैं, जो नालंदा विश्वविद्यालय से प्रेरित है। इसमें ध्यान, तर्क, बहस, व्याकरण, और तिब्बती साहित्य शामिल हैं।
आज, लगभग 200 छात्र विभिन्न देशों से यहां रहकर अध्ययन कर रहे हैं। उनके स्नातक 50 से अधिक संस्थानों में उनके ज्ञान को आगे बढ़ा रहे हैं।
2. एक लेखक के रूप में
उन्होंने 39 किताबें लिखी हैं, जिनमें **”कडु”** और **”राबिये”** प्रमुख हैं। उनकी किताबें बौद्ध धर्म के दर्शन और आत्मज्ञान के रहस्यों को उजागर करती हैं।
3. प्रकाशनों के अध्यक्ष के रूप में
श्री सोनम दो प्रमुख प्रकाशनों, खानयाम पब्लिकेशंस और धर्मकारा पब्लिकेशंस का नेतृत्व करते हैं। ये संस्थान हर साल 10-15 किताबें प्रकाशित करते हैं, जो बौद्ध शिक्षाओं को कई भाषाओं में उपलब्ध कराते हैं।
4. एक पर्यावरणविद् के रूप में
उनकी “स्वच्छ गंगा पहल” ने पवित्र नदी से कचरे को सफलतापूर्वक हटाया। उन्होंने बोधगया हवाई अड्डे के पास 1 लाख पेड़ लगाने का अभियान भी चलाया। उनके प्रयासों ने पर्यावरण को पुनर्जीवित किया और समाज को प्रेरित किया।
पुरस्कार और सम्मान
श्री सोनम को कई पुरस्कार प्राप्त हुए हैं, जैसे:
- बौद्ध सूत्र और तंत्र में सम्मान प्रमाणपत्र (2023)।
- नेपाल सरकार द्वारा प्रशंसा प्रमाणपत्र (2024)।
- अंतर्राष्ट्रीय आइकन पुरस्कार।
समाज पर प्रभाव
1. बौद्ध धर्म का प्रचार
उन्होंने 600 से अधिक भिक्षु तैयार किए, जो अब विश्वभर में शिक्षण कर रहे हैं। उनकी किताबें और शिक्षाएं बौद्ध धर्म को नई ऊंचाइयों तक ले गई हैं।
2. ध्यान के माध्यम से जीवन परिवर्तन
उनके सत्र और किताबें मानसिक तनाव, अवसाद और चिंता से लड़ने में मदद करती हैं। उनकी शिक्षाओं ने कई देशों के लोगों को आत्मिक शांति प्राप्त करने में सहायता की है।
3. पर्यावरण संरक्षण
उनकी पहलों ने जल गुणवत्ता, वायु शुद्धता, और जैव विविधता को बेहतर बनाया है। उनके वृक्षारोपण अभियान ने बंजर भूमि को हरे-भरे क्षेत्र में बदल दिया।
शांति का प्रतीक
श्री सोनम योदेन गुरंग एक सच्चे दूरदर्शी हैं, जो मानवता को आत्मज्ञान की ओर मार्गदर्शन कर रहे हैं। शिक्षक, लेखक और पर्यावरणविद् के रूप में उनका कार्य दुनिया पर अमिट छाप छोड़ रहा है। निस्संदेह, वे मानवता के लिए एक वरदान हैं।