गायत्री अनुष्ठान – सवा लाख पुरश्चरण क्या होता है ?
गायत्री अनुष्ठान एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली हिंदू धार्मिक अनुष्ठान है जिसमें गायत्री मंत्र की विशेष विधि से पूजा और जप किया जाता है। गायत्री मंत्र, जिसे वेदों में उच्चतम और पवित्र माना जाता है, यह है:
ॐ भूर् भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यम्
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात् ||
सवा लाख पुरश्चरण का अर्थ होता है गायत्री मंत्र का 1,25,000 बार जाप। यह अनुष्ठान विशेष रूप से शक्ति, समृद्धि, और आत्मिक उन्नति के लिए किया जाता है।
सवा लाख पुरश्चरण के महत्व:
- गायत्री मंत्र की शक्ति: गायत्री मंत्र को सर्वश्रेष्ठ मंत्र माना जाता है, और इसका सवा लाख बार जप करना मंत्र की पूर्णता और शक्ति को अधिकतम करता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: इस अनुष्ठान से भक्त को आत्मिक उन्नति, मानसिक शांति, और आध्यात्मिक प्रगति प्राप्त होती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: यह अनुष्ठान व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक होता है।
- पाप नाश: नियमित और विस्तृत जप के माध्यम से व्यक्ति के पाप समाप्त होते हैं और जीवन में शांति व समृद्धि आती है।
- धार्मिक पुण्य: सवा लाख पुरश्चरण एक महत्वपूर्ण धार्मिक कार्य है जो पुण्य और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
अनुष्ठान की विधि:
- तैयारी: अनुष्ठान से पहले शुद्धता बनाए रखें, उपवास करें, और आवश्यक सामग्री एकत्र करें जैसे कि शुद्ध जल, दीपक, फूल, और यंत्र।
- मंत्र जाप: प्रतिदिन 1,000 से 2,000 जाप करके कुल 1,25,000 जाप पूरा किया जाता है। यह अनुष्ठान कई दिनों तक चलता है।
- पूजा और अर्पण: अनुष्ठान के दौरान भगवान गायत्री की पूजा करें और उचित अर्पण और भेंट दें।
- दान और प्रसाद: अनुष्ठान के समाप्ति पर दान और प्रसाद वितरित करें और सभी को आशीर्वाद दें।
सवा लाख पुरश्चरण गायत्री अनुष्ठान एक विशाल और पवित्र कार्य है, जिसे पूरी श्रद्धा, समर्पण और विधि के अनुसार किया जाता है।
गायत्री अनुष्ठान के लाभ:
- आत्मिक विकास: यह अनुष्ठान आत्मिक विकास और आंतरिक शांति को बढ़ावा देता है। इसके माध्यम से ध्यान और मन की शुद्धि होती है जो आत्मा के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ाती है।
- बुद्धि और ज्ञान: गायत्री मंत्र का जाप करने से बुद्धि और ज्ञान की वृद्धि होती है। यह ध्यान की शक्ति को बढ़ाता है और विचारशीलता में सुधार करता है।
- शारीरिक स्वास्थ्य: यह शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है और रोगों से रक्षा करता है। यह आत्मा, मन और शरीर के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है।
- कल्याणकारी ऊर्जा: गायत्री मंत्र की ऊर्जा व्यक्ति को पॉजिटिव और कल्याणकारी ऊर्जा प्रदान करती है, जो उसे उत्साही और प्रेरित करती है।
- कर्मफल की प्राप्ति: गायत्री अनुष्ठान के द्वारा, व्यक्ति अच्छे कर्मफल की प्राप्ति के लिए प्रेरित होता है और सही दिशा में अग्रसर होता है।
- साधारण दुर्दशा की रक्षा: गायत्री अनुष्ठान व्यक्ति को दुर्दशा और बुराइयों से रक्षा करता है और उसे साधारण जीवन में संतुष्टि प्रदान करता है।
गायत्री अनुष्ठान व्यक्ति को समस्त अवस्थाओं में सफलता, सुख, और आत्मा के परिपूर्णता की ओर अग्रसर करता है और उसे आत्मिक शांति और संतुष्टि की प्राप्ति में मदद करता है।
विशेष ध्यान दें:
– आध्यात्मिक भावना: अनुष्ठान को पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ करें।
– शुद्धता: पूजा और अनुष्ठान के दौरान शुद्धता बनाए रखें।
– गुरु का मार्गदर्शन: यदि संभव हो, तो किसी योग्य गुरु या तांत्रिक से मार्गदर्शन प्राप्त करें। अथवा काशीपुरम के माध्यम से इस अनुष्ठान को कराने पर आपको योग्य गुरु का सानिध्य प्रदान कराया जाएगा।
– काशीपुरम द्वारा अनुष्ठान कराये जाने पर अनुष्ठान सामग्री की व्यवस्था काशीपुरम ही करता है जिसके लिए अलग से किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है।
– काशी से बाहर व्यक्तिगत रूप से यह अनुष्ठान कराने पर ब्राह्मण पुरोहितों के आने जाने और रहने खाने की व्यवस्था यजमान को अलग से करनी पड़ेगी।
अतिरिक्त जानकारियां :
– यह अनुष्ठान काशीपुरम के विद्वान् ब्राह्मणों द्वारा आयोजित कराया जाएगा ।
– अनुष्ठान बुक करने के बाद काशीपुरम की टीम आपसे संपर्क करके विस्तृत जानकारी इकठ्ठा करेगी और आवयश्यकता पड़ने पर अनुष्ठान को आयोजित कराने वाले ब्राह्मण पुरोहित से भी बात कराया जाएगा।
– काशीपुरम के विद्वान् ब्राह्मण पुरोहितों द्वारा अनुष्ठान को पूरे विधि विधान से आयोजित कराया जाता है , इसका परिणाम व्यक्ति की भावना, उद्देश्य एवं सदुपयोग पर निर्भर करता है । अनुष्ठान की संक्षिप्त विधि इसके लाभ और संक्षिप्त जानाक्रियां ऊपर दी हुई हैं जिससे अनुष्ठान कराने वाले भक्त के मन में कोई संशय न रहे। 100 में से 99 लोगों को इसका अच्छा परिणाम मिलता है। व्यक्ति किस उद्देश्य या भावना के साथ इस अनुष्ठान को कराना चाहता है, यह उसकी नीयत, गृह दशाएं, भाग्य एवं प्रारब्ध पर निर्भर करता है। यदि उद्देश्य या भावना सही नहीं है और प्रकृति या भगवान् की मर्जी किसी काम में नहीं रहती है तो इसका परिणाम नहीं भी मिल पाता है। इसका परिणाम मिलना न मिलना भगवान् के हाथ में है। हम भगवान् के सेवक मात्र हैं, कर्म करना हमारा काम है फल देना ईश्वर के हाथ में है। कोई भी अनुष्ठान आपकी सहायता मात्र के लिए है। पूर्णतः अनुष्ठानों या उपायों के अधीन न रहें,
धन्यवाद !
Detailed Information in English :
Gayatri Anushthan – What is 125,000 Purashcharan?
Gayatri Anushthan is a significant and powerful Hindu ritual involving the worship and recitation of the Gayatri Mantra. The Gayatri Mantra, considered one of the most sacred and revered mantras in the Vedas, is as follows:
Om Bhur Bhuvah Svah
Tat Savitur Varenyam
Bhargo Devasya Dhimahi
Dhiyo Yo Nah Prachodayat ||
125,000 Purashcharan refers to the practice of reciting the Gayatri Mantra 125,000 times. This extensive ritual is performed for spiritual growth, prosperity, and personal transformation.
Significance of 125,000 Purashcharan:
- Power of the Gayatri Mantra: The Gayatri Mantra is regarded as the supreme mantra, and reciting it 125,000 times maximizes its potency and effectiveness.
- Spiritual Advancement: This ritual aids in achieving spiritual progress, mental peace, and personal growth.
- Positive Energy: The practice is believed to infuse one’s life with positive energy and bring about beneficial changes.
- Atonement of Sins: Reciting the mantra in this extensive manner helps in cleansing past sins and brings peace and prosperity into one’s life.
- Religious Merit: Performing 125,000 Purashcharan is considered a highly meritorious act, bringing blessings and divine favor.
Procedure for the Anushthan:
- Preparation: Maintain purity and possibly observe a fast before starting. Gather all necessary materials like pure water, a lamp, flowers, and a yantra.
- Mantra Recitation: The recitation is divided into manageable segments, often performed daily (e.g., 1,000 to 2,000 recitations per day) until the total of 125,000 is achieved. The ritual can span several days.
- Worship and Offerings: Perform worship of Goddess Gayatri during the recitation and make appropriate offerings and donations.
- Donation and Prasad: At the end of the ritual, distribute donations and prasad (sacred offerings) and bless everyone involved.
The 125,000 Purashcharan of Gayatri Anushthan is a profound and sacred practice that should be performed with deep devotion, dedication, and adherence to proper procedures.
Benefits of Gayatri Anushthan include:
- Spiritual Development: This ritual enhances spiritual growth and inner peace. It purifies the mind and increases sensitivity towards the soul.
- Intellect and Knowledge: Chanting the Gayatri Mantra enhances intellect and knowledge. It boosts the power of concentration and improves analytical abilities.
- Physical Health: Gayatri Anushthan promotes physical health and provides protection from illnesses. It helps maintain balance among the soul, mind, and body.
- Positive Energy: The energy of the Gayatri Mantra provides individuals with positive and benevolent energy, motivating and inspiring them.
- Attainment of Karma Phala: Through Gayatri Anushthan, individuals are inspired to perform good deeds and attain positive results in life.
- Protection from Adverse Situations: Gayatri Anushthan shields individuals from adverse situations and provides contentment in ordinary life.
Gayatri Anushthan propels individuals towards success, happiness, and spiritual fulfillment in all aspects of life, aiding in the attainment of inner peace and satisfaction.
Special Notes:
– Spiritual Attitude: Conduct the ritual with full devotion and faith.
– Purity: Maintain purity throughout the ritual and worship.
– Guidance from a Guru: If possible, seek guidance from a qualified guru or tantric. Alternatively, Kashi Puram will arrange for a qualified guru to assist with the ritual.
– Material Arrangement by Kashi Puram: Kashi Puram will provide all ritual materials, with no additional fee. For personal rituals outside Kashi, the practitioner must arrange for the Brahmin priests’ travel, accommodation, and food.
Additional Information:
– The ritual will be conducted by the learned Brahmins of Kashi Puram.
– After booking the ritual, the Kashi Puram team will contact you to gather detailed information and, if necessary, connect you with the performing Brahmin priests.
– The Brahmins will conduct the ritual with all due formalities, and its effectiveness depends on the practitioner’s intent, purpose, and proper use. The brief procedure and benefits provided are meant to address any doubts. Typically, 99 out of 100 individuals experience positive results. The outcome depends on the practitioner’s intention, home conditions, fortune, and destiny. If the intention is not correct or if nature or divine will does not support it, the result may not be achieved. The outcome is in the hands of the divine. We are mere servants of the divine, our duty is to perform the ritual, and the results are in the hands of God. Rituals are meant to assist, but do not rely entirely on them.
Thank you !