Product Description in Hindi :
6 मुखी रुद्राक्ष का महत्व
6 मुखी रुद्राक्ष का महत्व हिंदू धर्म और विशेष रूप से भगवान शिव के उपासकों के बीच अत्यधिक माना जाता है। इसे ‘छह मुखी रुद्राक्ष’ भी कहते हैं, और यह भगवान शिव के छठे रूप या स्वरूप का प्रतिनिधित्व करता है। इसके महत्व को निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:
- भगवान कार्तिकेय का प्रतिनिधित्व: 6 मुखी रुद्राक्ष का संबंध भगवान कार्तिकेय से होता है, जो ज्ञान, युद्ध और समृद्धि के देवता हैं। यह रुद्राक्ष बुद्धि और शिक्षा में वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
- सृजन और संरक्षण: इस रुद्राक्ष का संबंध सृजन और संरक्षण के कार्यों से होता है। यह व्यक्ति को जीवन में स्थिरता और संतुलन प्रदान करता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: इसे पहनने से व्यक्ति की आध्यात्मिक प्रगति होती है और आत्मा के साथ संवाद स्थापित होता है।
6 मुखी रुद्राक्ष के लाभ
6 मुखी रुद्राक्ष के विभिन्न लाभ हैं:
- ज्ञान और बुद्धि: इसे पहनने से मानसिक स्पष्टता और बुद्धि में वृद्धि होती है। यह शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है।
- स्वास्थ्य लाभ: यह रुद्राक्ष मानसिक तनाव को कम करता है और शरीर की ऊर्जा को संतुलित करता है। इससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- आध्यात्मिक संतुलन: यह रुद्राक्ष ध्यान और साधना में सहायक होता है, जिससे व्यक्ति को आध्यात्मिक संतुलन और शांति प्राप्त होती है।
- नकरात्मकता से सुरक्षा: यह व्यक्ति को नकारात्मक ऊर्जा और दुष्ट प्रभावों से बचाता है, और जीवन में सकारात्मकता को बढ़ावा देता है।
- विवादों और तनाव का समाधान: यह रुद्राक्ष जीवन में तनाव और विवादों को कम करने में मदद करता है और शांति और संतुलन प्रदान करता है।
6 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने की विधि
6 मुखी रुद्राक्ष को सही तरीके से धारण करने के लिए निम्नलिखित विधियाँ अपनाई जा सकती हैं:
- पूजन और शुद्धिकरण: रुद्राक्ष को धारण करने से पहले इसे अच्छे से धोकर पवित्रता के लिए नहाकर पूजा स्थान पर रखें। इसे गंगाजल या अन्य पवित्र जल से धोकर पूजन करें। पूजा के दौरान भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें, जैसे ‘ॐ नमः शिवाय’।
- अभिषेक: रुद्राक्ष पर जल, दूध, शहद, और फूलों से अभिषेक करें। यह प्रक्रिया विशेष रूप से रुद्राक्ष को पवित्र करने के लिए की जाती है।
- धारण की विधि: 6 मुखी रुद्राक्ष को एक चांदी, सोना, या तांबे की माला में जड़वा सकते हैं। यह माला प्रातः काल (सूरज उगने से पहले) स्नान करने के बाद पहननी चाहिए। पहनने से पहले भगवान शिव की पूजा करें।
- धारण के नियम: रुद्राक्ष को पहनते समय इसे स्वच्छ रखें और यदि संभव हो तो प्रतिदिन इसे साफ करें। इसे सोते समय निकालना बेहतर होता है।
- धारक की भावना: रुद्राक्ष को श्रद्धा और विश्वास के साथ पहनना चाहिए। इसे पहनने से पहले मानसिक और आध्यात्मिक रूप से तैयार रहना चाहिए।
इस प्रकार, 6 मुखी रुद्राक्ष का उपयोग और धारण करने की विधि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सही तरीके से की जानी चाहिए ताकि इसके सभी लाभ प्राप्त हो सकें।
अतिरिक्त जानकारियां :
- 6 मुखी रुद्राक्ष मनका काशी विश्वनाथ धाम में पवित्र ज्योतिर्लिंग से स्पर्श कराकर विश्व विख्यात काशी के विद्वान् पण्डितों द्वारा इसे अभिमंत्रित किया जाता है ।
- 6 मुखी रुद्राक्ष मनका को अभिमंत्रित और सिद्ध करने में 2 से 3 दिन का समय लग सकता है । इस वजह से सामग्री ऑर्डर प्राप्ति से 3 दिन बाद डिस्पैच की जाएगी जिसकी सूचना मैसेज, व्हाट्सअप या कॉल द्वारा दे दी जाएगी ।
- हमारी तरफ से 6 मुखी रुद्राक्ष मनका को पूर्णतः शुद्ध और अभिमंत्रित (सिद्ध) करके दिया जाता है, इसका परिणाम व्यक्ति की भावना, उद्देश्य एवं सदुपयोग पर निर्भर करता है । 6 मुखी रुद्राक्ष मनका को धारण करने की सम्पूर्ण विधि इसके लाभ और सम्पूर्ण जानकारियां ऊपर दी हुई हैं जिससे धारण करने वाले के मन में कोई संशय न रहे। 100 में से 99 लोगों को इसका अच्छा परिणाम मिलता है। व्यक्ति किस उद्देश्य या भावना के साथ इसे धारण करना चाहता है, यह उसकी नीयत, गृह दशाएं, भाग्य एवं प्रारब्ध पर निर्भर करता है। यदि उद्देश्य या भावना सही नहीं है और प्रकृति या भगवान् की मर्जी किसी काम में नहीं रहती है तो इसका परिणाम नहीं भी मिल पाता है। इसका परिणाम मिलना न मिलना भगवान् के हाथ में है। हम भगवान् के सेवक मात्र हैं, कर्म करना हमारा काम है फल देना ईश्वर के हाथ में है। कोई भी सामग्री या वस्तु आपकी सहायता मात्र के लिए है। पूर्णतः सामग्रियों या उपायों के अधीन न रहें, धन्यवाद।
Disclaimer : The photo used is for illustrative purposes only. Actual content may differ from this photo.
Product Description in English :
Importance of the 6-Faced Rudraksha
The 6-faced Rudraksha holds significant importance in Hinduism and is highly revered among devotees of Lord Shiva. Also known as the ‘Six-Faced Rudraksha,’ it represents the sixth form or aspect of Lord Shiva. Its significance can be understood through the following points:
- Representation of Lord Kartikeya: The 6-faced Rudraksha is associated with Lord Kartikeya, the deity of knowledge, war, and prosperity. It is considered crucial for enhancing intellect and education.
- Creation and Preservation: This Rudraksha is linked to the aspects of creation and preservation. It provides stability and balance in one’s life.
- Spiritual Advancement: Wearing this Rudraksha leads to spiritual growth and helps in establishing a connection with the soul.
Benefits of the 6-Faced Rudraksha
The 6-faced Rudraksha offers various benefits:
- Knowledge and Intelligence: Wearing this Rudraksha increases mental clarity and intellect. It aids in achieving success in education and knowledge-related fields.
- Health Benefits: It helps reduce mental stress and balances the body’s energy, improving both physical and mental health.
- Spiritual Balance: This Rudraksha assists in meditation and spiritual practice, leading to spiritual balance and peace.
- Protection from Negativity: It protects the wearer from negative energies and harmful influences, promoting positivity in life.
- Conflict and Stress Resolution: This Rudraksha helps in reducing stress and conflicts in life, providing peace and balance.
Method to Wear the 6-Faced Rudraksha
To wear the 6-faced Rudraksha correctly, follow these methods:
- Worship and Purification: Before wearing the Rudraksha, cleanse it thoroughly and place it in a sacred space after bathing. Purify it with Ganga water or other holy water and perform a ritual. During the worship, chant mantras dedicated to Lord Shiva, such as ‘Om Namah Shivaya.’
- Abhishek (Ceremonial Bath): Perform an Abhishek by applying water, milk, honey, and flowers to the Rudraksha. This process is meant to purify the Rudraksha.
- Wearing Method: The 6-faced Rudraksha can be set in a necklace made of silver, gold, or copper. The necklace should be worn early in the morning (before sunrise) after bathing. Perform a worship ritual of Lord Shiva before wearing it.
- Maintenance: Keep the Rudraksha clean while wearing it, and if possible, clean it daily. It is advisable to remove it before sleeping.
- Devotion of the Wearer: The Rudraksha should be worn with reverence and faith. The wearer should be mentally and spiritually prepared before wearing it.
Thus, the use and wearing of the 6-faced Rudraksha should be done according to religious beliefs and practices to ensure all its benefits are received.
Additional Information:
The Six-Mukhi Rudraksha bead is consecrated by touching it to the holy Jyotirlinga at Kashi Vishwanath Temple and then ritually energized by renowned scholars of Kashi.
It may take 2 to 3 days to consecrate and energize the Six-Mukhi Rudraksha bead. Therefore, the dispatch of the item will occur 3 days after the order is received, and you will be notified of this via message, WhatsApp, or call.
We provide the Six-Mukhi Rudraksha bead as fully purified and consecrated. Its effectiveness depends on the individual’s intentions, purpose, and proper use. The complete method for wearing theSix-Mukhi Rudraksha and all related information have been provided above to ensure there is no doubt in the wearer’s mind. While 99 out of 100 people experience positive results, the outcome depends on the wearer’s intentions, planetary conditions, luck, and destiny. If the intention or purpose is not correct, or if it does not align with divine will, the expected results may not manifest. The results are ultimately in the hands of the divine. We are merely facilitators; performing actions is our duty, but delivering results is in the hands of the divine. Any item or object is just an aid; do not rely entirely on materials or remedies alone. Thank you