Product Description in Hindi :
8 मुखी रुद्राक्ष (8-faced Rudraksha) का महत्व विभिन्न धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यताओं में गहराई से जुड़ा हुआ है। इसे हिंदू धर्म में विशेष मान्यता प्राप्त है और यह कई लाभों के लिए जाना जाता है। यहाँ 8 मुखी रुद्राक्ष के महत्व को संक्षेप में प्रस्तुत किया गया है:
- संपूर्णता और शक्ति का प्रतीक:
8 मुखी रुद्राक्ष को भगवान शिव के आठवें रूप से जुड़ा माना जाता है। इसे धारण करने से व्यक्ति की शक्ति और ऊर्जा में वृद्धि होती है। यह रुद्राक्ष सम्पूर्णता और समृद्धि का प्रतीक होता है।
- द्वादश आदित्य की कृपा:
धार्मिक मान्यता के अनुसार, 8 मुखी रुद्राक्ष का संबंध द्वादश आदित्य (सूर्य के बारह रूप) से है। इसे पहनने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन में उजाला और सफलता लाने में मदद करता है।
- सभी दोषों से मुक्ति:
8 मुखी रुद्राक्ष का उपयोग विभिन्न दोषों और कठिनाइयों से मुक्ति के लिए किया जाता है। यह रुद्राक्ष नकारात्मक ऊर्जा और बुराइयों से बचाव करता है, जिससे जीवन में शांति और संतुलन बना रहता है।
- आध्यात्मिक उन्नति:
इस रुद्राक्ष के नियमित उपयोग से आध्यात्मिक उन्नति और जागरूकता में वृद्धि होती है। यह ध्यान और साधना में सहायता करता है और आत्मा की शांति और स्थिरता को बढ़ावा देता है।
- शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य:
8 मुखी रुद्राक्ष पहनने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह तनाव कम करने, मानसिक शांति प्रदान करने और आत्म-विश्वास बढ़ाने में सहायक होता है।
- धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ:
यह रुद्राक्ष उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है जो धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन में प्रगति करना चाहते हैं। यह भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण साधन है।
- आत्मा की शांति और सुरक्षा:
इसे पहनने से व्यक्ति की आत्मा को शांति और सुरक्षा मिलती है। यह जीवन की कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करने में साहस और बल प्रदान करता है।
इन लाभों और मान्यताओं के आधार पर, 8 मुखी रुद्राक्ष को एक अत्यंत महत्वपूर्ण और शक्तिशाली आभूषण माना जाता है, जिसका उपयोग मानसिक, शारीरिक, और आध्यात्मिक उन्नति के लिए किया जाता है।
8 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने के लिए विशेष विधियाँ और नियम हैं जो धार्मिक परंपराओं के अनुसार अनुसरण किए जाते हैं।
यहां 8 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने की विधि विस्तार से दी गई है:
- शुद्धता और स्वच्छता:
– शारीरिक और मानसिक स्वच्छता: रुद्राक्ष को धारण करने से पहले, अपने शरीर और मन को शुद्ध करना आवश्यक है। इसे करने के लिए, स्नान करके और मानसिक रूप से शुद्ध रहकर ध्यान और प्रार्थना करें।
– रुद्राक्ष की सफाई: रुद्राक्ष को धारण करने से पहले उसे गंगाजल या शुद्ध पानी से धो लें और फिर ताजे दूध से स्नान कराएं। इसके बाद उसे ताजे जल से पुनः धो लें और इसे धूप में सुखा लें।
- धारण करने का समय:
– शुभ समय: 8 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने के लिए सबसे अच्छा समय प्रातः काल (सुबह के समय) होता है, विशेष रूप से ब्रह्म मुहूर्त के समय। सोमवार और शनिवार भी इसके लिए शुभ माने जाते हैं।
- मंत्र जाप और प्रार्थना:
– मंत्र: रुद्राक्ष को धारण करने से पहले उसे निम्नलिखित मंत्रों के जाप के साथ पूजनीय बनाना चाहिए:
ॐ ह्लीं नमः
या
ॐ नमः शिवाय
– पूजा विधि: रुद्राक्ष को एक साफ स्थान पर रखें और उसका ध्यान करें। इसके बाद उपरोक्त मंत्रों का जाप करें। मंत्र जाप के दौरान ध्यान केंद्रित करें और भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करें।
- धारण की विधि:
– धारण करने का तरीका: 8 मुखी रुद्राक्ष को दाहिने हाथ में एक काले धागे या चांदी की डोरी से माला में पिरोकर पहनना सबसे अच्छा होता है। अगर आप इसे अंगूठी के रूप में पहनना चाहते हैं, तो इसे दाहिने हाथ की मध्यमा अंगुली (मध्य अंगुली) पर पहनें।
– सावधानियाँ: रुद्राक्ष को पहनने के दौरान इसे नियमित रूप से साफ करें और विशेष ध्यान दें कि यह गिर न जाए।
- रुद्राक्ष की देखभाल:
– साफ-सफाई: रुद्राक्ष को नियमित रूप से साफ रखें। इसे गंगाजल या शुद्ध जल से धो सकते हैं और धूप में सुखा सकते हैं।
– संग्रहण: जब रुद्राक्ष को न पहनें, तो इसे एक साफ और पवित्र स्थान पर रखें। इसे किसी भी नकारात्मक ऊर्जा से दूर रखें।
- अनुष्ठान और नियम:
– अनुष्ठान: कुछ लोग विशेष अनुष्ठान भी करते हैं, जैसे 4, 7, 11 या 21 दिनों तक लगातार जाप और पूजा करना, ताकि रुद्राक्ष के सकारात्मक प्रभाव अधिकतम प्राप्त किए जा सकें।
– नियम: रुद्राक्ष को पहनने के बाद, असंवेदनशीलता, क्रोध और नकारात्मक भावनाओं से दूर रहना चाहिए।
इन विधियों का पालन करके, 8 मुखी रुद्राक्ष को सही तरीके से धारण किया जा सकता है और इसके धार्मिक और आध्यात्मिक लाभों का अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
अतिरिक्त जानकारियां :
- 8 मुखी रुद्राक्ष मनका काशी विश्वनाथ धाम में पवित्र ज्योतिर्लिंग से स्पर्श कराकर विश्व विख्यात काशी के विद्वान् पण्डितों द्वारा इसे अभिमंत्रित किया जाता है ।
- 8 मुखी रुद्राक्ष मनका को अभिमंत्रित और सिद्ध करने में 2 से 3 दिन का समय लग सकता है । इस वजह से सामग्री ऑर्डर प्राप्ति से 3 दिन बाद डिस्पैच की जाएगी जिसकी सूचना मैसेज, व्हाट्सअप या कॉल द्वारा दे दी जाएगी ।
- हमारी तरफ से 8 मुखी रुद्राक्ष मनका को पूर्णतः शुद्ध और अभिमंत्रित (सिद्ध) करके दिया जाता है, इसका परिणाम व्यक्ति की भावना, उद्देश्य एवं सदुपयोग पर निर्भर करता है । 8 मुखी रुद्राक्ष मनका को धारण करने की सम्पूर्ण विधि इसके लाभ और सम्पूर्ण जानकारियां ऊपर दी हुई हैं जिससे धारण करने वाले के मन में कोई संशय न रहे। 100 में से 99 लोगों को इसका अच्छा परिणाम मिलता है। व्यक्ति किस उद्देश्य या भावना के साथ इसे धारण करना चाहता है, यह उसकी नीयत, गृह दशाएं, भाग्य एवं प्रारब्ध पर निर्भर करता है। यदि उद्देश्य या भावना सही नहीं है और प्रकृति या भगवान् की मर्जी किसी काम में नहीं रहती है तो इसका परिणाम नहीं भी मिल पाता है। इसका परिणाम मिलना न मिलना भगवान् के हाथ में है। हम भगवान् के सेवक मात्र हैं, कर्म करना हमारा काम है फल देना ईश्वर के हाथ में है। कोई भी सामग्री या वस्तु आपकी सहायता मात्र के लिए है। पूर्णतः सामग्रियों या उपायों के अधीन न रहें, धन्यवाद।
Disclaimer : The photo used is for illustrative purposes only. Actual content may differ from this photo.
Product Description in English :
The significance of the 8-faced Rudraksha (8 Mukhi Rudraksha) is deeply rooted in various religious and spiritual beliefs. It holds a special place in Hinduism and is renowned for its numerous benefits. Here’s a brief overview of the importance of the 8-faced Rudraksha:
Importance of the 8-Faced Rudraksha
- Symbol of Completeness and Power:
The 8-faced Rudraksha is associated with the eighth form of Lord Shiva. Wearing it enhances an individual’s strength and energy. This Rudraksha symbolizes completeness and prosperity.
- Blessings of the Twelve Adityas:
According to religious beliefs, the 8-faced Rudraksha is linked to the twelve Adityas (the twelve forms of the Sun). Wearing it brings the blessings of the Sun God, helping to illuminate life and achieve success.
- Liberation from Defects:
The 8-faced Rudraksha is used to alleviate various defects and difficulties. It protects against negative energies and evils, ensuring peace and balance in life.
- Spiritual Advancement:
Regular use of this Rudraksha promotes spiritual growth and awareness. It assists in meditation and practices, enhancing inner peace and stability.
- Physical and Mental Health:
Wearing the 8-faced Rudraksha improves physical and mental health. It helps reduce stress, provides mental tranquility, and boosts self-confidence.
- Religious and Spiritual Benefits:
This Rudraksha is particularly beneficial for those seeking progress in their religious and spiritual lives. It is a significant means of receiving Lord Shiva’s blessings and grace.
- Peace and Protection of the Soul:
Wearing it brings peace and protection to the soul. It provides courage and strength to face life’s challenges and difficulties.
Based on these benefits and beliefs, the 8-faced Rudraksha is considered a highly important and powerful ornament used for mental, physical, and spiritual advancement.
How to Wear the 8-Faced Rudraksha
Here is a detailed guide on how to properly wear the 8-faced Rudraksha according to religious traditions:
- Purity and Cleanliness:
– Physical and Mental Cleanliness: Before wearing the Rudraksha, it is essential to purify both body and mind. Take a bath and maintain mental purity through meditation and prayer.
– Cleaning the Rudraksha: Clean the Rudraksha before wearing it by washing it with Ganga water or pure water. Then bathe it in fresh milk. Rinse it again with fresh water and dry it in sunlight.
- Timing for Wearing:
– Auspicious Time: The best time to wear the 8-faced Rudraksha is early in the morning, especially during Brahma Muhurta. Mondays and Saturdays are also considered auspicious for wearing it.
- Mantra Chanting and Prayer:
– Mantra: Before wearing the Rudraksha, it should be consecrated with the chanting of the following mantras:
Om Hreem Namah
or
Om Namah Shivaya
– Ritual: Place the Rudraksha on a clean surface and offer prayers. Chant the above mantras while focusing on the Rudraksha and seek blessings from Lord Shiva.
- Method of Wearing:
– How to Wear: The 8-faced Rudraksha is ideally worn on a black thread or a silver cord as a mala on the right hand. If wearing it as a ring, place it on the middle finger of the right hand.
– Precautions: Regularly clean the Rudraksha while wearing it and ensure that it does not fall off.
- Care of the Rudraksha:
– Cleaning: Keep the Rudraksha clean by regularly washing it with Ganga water or pure water and drying it in the sun.
– Storage: When not wearing it, store the Rudraksha in a clean and sacred place, keeping it away from negative energies.
- Rituals and Rules:
– Rituals: Some people perform special rituals, such as chanting and praying for 4, 7, 11, or 21 days continuously, to maximize the positive effects of the Rudraksha.
– Rules: After wearing the Rudraksha, avoid negative emotions like anger and insensitivity.
By following these guidelines, the 8-faced Rudraksha can be worn correctly, and its religious and spiritual benefits can be fully realized.
Additional Information:
The Eight-Mukhi Rudraksha bead is consecrated by touching it to the holy Jyotirlinga at Kashi Vishwanath Temple and then ritually energized by renowned scholars of Kashi.
It may take 2 to 3 days to consecrate and energize the Eight-Mukhi Rudraksha bead. Therefore, the dispatch of the item will occur 3 days after the order is received, and you will be notified of this via message, WhatsApp, or call.
We provide the Eight-Mukhi Rudraksha bead as fully purified and consecrated. Its effectiveness depends on the individual’s intentions, purpose, and proper use. The complete method for wearing the Eight-Mukhi Rudraksha and all related information have been provided above to ensure there is no doubt in the wearer’s mind. While 99 out of 100 people experience positive results, the outcome depends on the wearer’s intentions, planetary conditions, luck, and destiny. If the intention or purpose is not correct, or if it does not align with divine will, the expected results may not manifest. The results are ultimately in the hands of the divine. We are merely facilitators; performing actions is our duty, but delivering results is in the hands of the divine. Any item or object is just an aid; do not rely entirely on materials or remedies alone. Thank you.