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15 Mukhi Rudraksh (अभिमंत्रित 15 मुखी रुद्राक्ष मनका)

Original price was: ₹90,000.00.Current price is: ₹71,155.00.

धार्मिक मान्यता के अनुसार, 15 मुखी रुद्राक्ष की उत्पत्ति एक महत्वपूर्ण पौराणिक कथा और आध्यात्मिक परंपरा से जुड़ी हुई है। इसे भगवान शिव और अन्य देवताओं के साथ जोड़ा जाता है और इसे विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक लाभों के साथ जोड़ा जाता है। यहाँ 15 मुखी रुद्राक्ष की उत्पत्ति से जुड़ी एक प्रमुख कथा का विवरण प्रस्तुत है:

15 मुखी रुद्राक्ष की उत्पत्ति की कथा:

  1. धार्मिक परंपरा:

   – शिव के 15 स्वरूप: 15 मुखी रुद्राक्ष को भगवान शिव के 15 विभिन्न स्वरूपों और शक्तियों का प्रतीक माना जाता है। इसे विशेष रूप से शिव के विभिन्न पहलुओं और उनके दिव्य गुणों से जोड़ा जाता है।

  1. पौराणिक कथा:

   – सृष्टि और यज्ञ: एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने सृष्टि की रक्षा और समग्र संतुलन बनाए रखने के लिए विभिन्न यज्ञ और तपस्या की। इन यज्ञों के दौरान, शिव ने 15 मुखी रुद्राक्ष को उत्पन्न किया। यह रुद्राक्ष शिव के 15 प्रमुख स्वरूपों का प्रतिनिधित्व करता है।

   – पौराणिक वर्णन: अन्य मान्यताओं के अनुसार, 15 मुखी रुद्राक्ष को प्रकट करने के लिए शिव ने विभिन्न देवताओं और शक्तियों के साथ सहयोग किया। यह रुद्राक्ष विशेष रूप से उन भक्तों के लिए है जो शक्ति, सुरक्षा और दिव्यता की खोज में हैं।

  1. शिव के 15 स्वरूप:

   – विभिन्न शक्तियों का प्रतीक: 15 मुखी रुद्राक्ष को भगवान शिव के 15 स्वरूपों का प्रतिनिधित्व माना जाता है। इन स्वरूपों में विभिन्न दिव्य शक्तियाँ और गुण समाहित होते हैं, जो भक्तों को मानसिक, आध्यात्मिक, और भौतिक लाभ प्रदान करते हैं।

  1. आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व:

   – आध्यात्मिक उन्नति: 15 मुखी रुद्राक्ष पहनने से व्यक्ति को आत्मज्ञान, ध्यान, और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। यह ध्यान और साधना में गहराई लाता है और आंतरिक शांति प्रदान करता है।

   – धार्मिक प्रभाव: इसे विशेष रूप से धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा में उपयोग किया जाता है, जो धार्मिक शक्ति और आशीर्वाद को बढ़ावा देने में सहायक होते हैं।

इस प्रकार, 15 मुखी रुद्राक्ष की उत्पत्ति की कथाएँ और मान्यताएँ इसे एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली वस्त्र मानती हैं, जो भक्तों को आध्यात्मिक, मानसिक, और भौतिक लाभ प्रदान करती हैं।

According to religious beliefs, the origin of the 15 Mukhi Rudraksha is associated with an important mythological tale and spiritual tradition. It is linked to Lord Shiva and other deities, and is considered to bring special religious and spiritual benefits. Here is an account of the origin of the 15 Mukhi Rudraksha:

The Origin Story of the 15 Mukhi Rudraksha:

  1. Religious Tradition:

   – Shiva’s 15 Forms: The 15 Mukhi Rudraksha is considered a symbol of the 15 different forms and powers of Lord Shiva. It is particularly associated with the various aspects and divine qualities of Shiva.

  1. Mythological Tale:

   – Creation and Yajnas: According to a mythological tale, Lord Shiva performed various Yajnas (sacrificial rites) and penances to protect and maintain the balance of creation. During these rituals, Lord Shiva manifested the 15 Mukhi Rudraksha. This Rudraksha represents the 15 principal forms of Shiva.

   – Mythical Description: In other beliefs, it is said that to manifest the 15 Mukhi Rudraksha, Shiva collaborated with various deities and powers. This Rudraksha is particularly meant for devotees seeking strength, protection, and divinity.

  1. Shiva’s 15 Forms:

   – Symbol of Different Powers: The 15 Mukhi Rudraksha is believed to represent the 15 forms of Lord Shiva. These forms embody various divine powers and qualities that provide mental, spiritual, and physical benefits to devotees.

  1. Spiritual and Religious Significance:

   – Spiritual Advancement: Wearing the 15 Mukhi Rudraksha brings self-realization, meditation, and spiritual growth. It enhances depth in meditation and provides inner peace.

   – Religious Impact: It is used specifically in religious ceremonies and worship, aiding in the enhancement of spiritual power and blessings.

Thus, the stories and beliefs surrounding the origin of the 15 Mukhi Rudraksha regard it as a highly sacred and powerful object, offering spiritual, mental, and physical benefits to its devotees.

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Product Description in Hindi : 

15 मुखी रुद्राक्ष का महत्व

15 मुखी रुद्राक्ष को धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे भगवान शिव के 15 स्वरूपों का प्रतीक माना जाता है और इसके धारण से कई लाभ प्राप्त होते हैं। यहाँ इसके महत्व को समझने के लिए कुछ प्रमुख बिंदु हैं:

  1. शिव के 15 स्वरूप:

   – दिव्य शक्तियों का प्रतीक: 15 मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव के 15 विभिन्न स्वरूपों का प्रतिनिधित्व करता है। इनमें विभिन्न दिव्य शक्तियाँ और गुण समाहित होते हैं, जो भक्तों को मानसिक, आध्यात्मिक, और भौतिक लाभ प्रदान करते हैं।

  1. आध्यात्मिक उन्नति:

   – आत्मज्ञान और ध्यान: इसे पहनने से आत्मज्ञान प्राप्त होता है और ध्यान में गहराई आती है। यह मानसिक शांति, संतुलन और आंतरिक शांति प्रदान करता है।

  1. धार्मिक और भौतिक लाभ:

   – धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोग: 15 मुखी रुद्राक्ष का उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों, पूजा और यज्ञों में विशेष महत्व रखता है। यह धार्मिक शक्ति और आशीर्वाद को बढ़ावा देने में सहायक होता है।

   – समृद्धि और सफलता: इसे पहनने से व्यक्ति के जीवन में धन, समृद्धि और व्यापारिक सफलता प्राप्त होती है। यह सकारात्मक ऊर्जा और आर्थिक समृद्धि का प्रवाह बढ़ाता है।

  1. स्वास्थ्य और संबंधों में सुधार:

   – स्वास्थ्य लाभ: 15 मुखी रुद्राक्ष शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में सहायक होता है। यह तनाव, चिंता और अवसाद को कम करने में मदद करता है।

   – संबंधों में सहायता: यह रुद्राक्ष पारिवारिक और व्यक्तिगत संबंधों में सुधार लाने में मदद कर सकता है और एक सामंजस्यपूर्ण वातावरण बनाए रखने में सहायक होता है।

15 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने की विधि

15 मुखी रुद्राक्ष को सही तरीके से धारण करने से इसके सभी धार्मिक, आध्यात्मिक, और भौतिक लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। यहाँ इसकी धारण करने की विधि का विवरण प्रस्तुत है:

  1. चयन और शुद्धिकरण:

   – रुद्राक्ष की खरीदारी: सुनिश्चित करें कि 15 मुखी रुद्राक्ष की खरीदारी एक विश्वसनीय और प्रमाणित विक्रेता से की जाए।

   – शुद्धिकरण: रुद्राक्ष को घर लाने के बाद, इसे गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं। इससे इसे शुद्ध और पवित्र माना जाता है।

  1. पूजा और अभिषेक:

   – अभिषेक: रुद्राक्ष को पूजा स्थल पर रखकर, इसका अभिषेक गाय के दूध, शहद, गंगाजल, या पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर) से करें।

   – पूजा: रुद्राक्ष की पूजा के लिए ध्यान और मंत्र जप करें। विशेष रूप से, “ॐ नमः शिवाय” या “ॐ ह्लीं क्लीं महादेवाय नमः” जैसे मंत्रों का जप करें। पूजा के दौरान, रुद्राक्ष को एक शुद्ध वस्त्र पर रखें और दीपक और फूल अर्पित करें।

  1. पहनने की विधि:

   – स्नान और स्वच्छता: रुद्राक्ष को पहनने से पहले, अपने शरीर को स्नान करके पूरी तरह से स्वच्छ करें।

   – सर्वोत्तम समय: रुद्राक्ष को सुबह-सुबह सूरज उगने के समय या किसी शुभ मुहूर्त में पहनना चाहिए। इसे विशेष रूप से सोमवार को पहनना अधिक शुभ माना जाता है।

   – धारण की विधि: रुद्राक्ष को धारण करने के लिए, इसे सूती या लाल धागे में डालकर अपनी दाहिनी कलाई या गले में पहन सकते हैं। इसे ताजगी और श्रद्धा के साथ पहनें।

  1. ध्यान और साधना:

   – ध्यान: रुद्राक्ष को पहनने के बाद, दिन में कुछ समय ध्यान और साधना करें। इसे ध्यान के समय अपने शरीर से निकालकर पूजा स्थल पर रख सकते हैं।

   – वृत्ति: रुद्राक्ष को नियमित रूप से ध्यान और पूजा के समय उपयोग करें। इसे कभी भी उथला या नापाक स्थान पर न रखें।

  1. विशेष ध्यान:

   – सच्ची श्रद्धा: रुद्राक्ष को पहनने का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है सच्ची श्रद्धा और विश्वास। इसे ध्यान और पूजा के साथ नियमित रूप से पहनना चाहिए।

   – संगति: ध्यान रखें कि रुद्राक्ष को केवल एक व्यक्ति ही धारण करे, और इसे दूसरों के साथ साझा न करें।

निष्कर्ष:

15 मुखी रुद्राक्ष का सही तरीके से धारण करने से इसके धार्मिक, आध्यात्मिक, और भौतिक लाभ प्राप्त होते हैं। इसे सच्चे मन और श्रद्धा के साथ पहनने से जीवन में शांति, समृद्धि, और शक्ति आती है।

अतिरिक्त जानकारियां –

 

  • 15 मुखी रुद्राक्ष काशी विश्वनाथ धाम में पवित्र ज्योतिर्लिंग से स्पर्श कराकर काशी के विद्वान् पण्डितों द्वारा इसे अभिमंत्रित किया जाता है । 
  • 15 मुखी रुद्राक्ष को अभिमंत्रित और सिद्ध करने में 2 से 3 दिन का समय लग सकता है । इस वजह से सामग्री ऑर्डर प्राप्ति से 3 दिन बाद डिस्पैच की जाएगी जिसकी सूचना मैसेज, व्हाट्सअप या कॉल द्वारा दे दी जाएगी ।
  • हमारी तरफ से 15 मुखी रुद्राक्ष को पूर्णतः शुद्ध और अभिमंत्रित (सिद्ध) करके दिया जाता है, इसका परिणाम व्यक्ति की भावना, उद्देश्य एवं सदुपयोग पर निर्भर करता है । 15 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने की सम्पूर्ण विधि सामग्री के साथ ही संलग्न रहती है जिससे धारण करने वाले के मन में कोई संशय न रहे। 100 में से 99 लोगों को इसका अच्छा परिणाम मिलता है। व्यक्ति किस उद्देश्य या भावना के साथ इसे धारण करना चाहता है, यह उसकी नीयत, गृह दशाएं, भाग्य एवं प्रारब्ध पर निर्भर करता है। यदि उद्देश्य या भावना सही नहीं है और प्रकृति या भगवान् की मर्जी किसी काम में नहीं रहती है तो इसका परिणाम  नहीं भी मिल पाता है। इसका परिणाम मिलना न मिलना भगवान् के हाथ में है। हम भगवान् के सेवक मात्र हैं, कर्म करना हमारा काम है फल देना ईश्वर के हाथ में है। कोई भी सामग्री या वस्तु आपकी सहायता मात्र के लिए है।  पूर्णतः सामग्रियों या उपायों के अधीन न रहें, धन्यवाद। 

 

Disclaimer : The photo used is for illustrative purposes only. Actual content may differ from this photo.

Product Description in English : 

Importance of 15-Mukhi Rudraksha

The 15-mukhi Rudraksha is considered extremely significant from both religious and spiritual perspectives. It is believed to represent the 15 forms of Lord Shiva, and its wearing brings numerous benefits. Here are some key points to understand its importance:

  1. Shiva’s 15 Forms:

   – Symbol of Divine Powers: The 15-mukhi Rudraksha represents the 15 different forms of Lord Shiva, each embodying various divine powers and attributes. These divine qualities provide mental, spiritual, and material benefits to the devotees.

  1. Spiritual Advancement:

   – Self-Knowledge and Meditation: Wearing this Rudraksha aids in gaining self-knowledge and enhances meditation practices. It brings mental peace, balance, and inner tranquility.

  1. Religious and Material Benefits:

   – Use in Religious Ceremonies: The 15-mukhi Rudraksha is especially significant in religious ceremonies, rituals, and yajnas. It helps to enhance religious power and blessings.

   – Prosperity and Success: Wearing it leads to prosperity, success in business, and financial stability. It increases the flow of positive energy and economic abundance.

  1. Health and Relationship Improvement:

   – Health Benefits: The 15-mukhi Rudraksha supports physical and mental health. It helps in reducing stress, anxiety, and depression.

   – Support in Relationships: This Rudraksha can improve family and personal relationships, fostering a harmonious environment.

Method of Wearing 15-Mukhi Rudraksha

To reap all the religious, spiritual, and material benefits of the 15-mukhi Rudraksha, it is important to wear it correctly. Here’s how to do it:

  1. Selection and Purification:

   – Purchase: Ensure that you buy the 15-mukhi Rudraksha from a reliable and certified seller.

   – Purification: After acquiring the Rudraksha, purify it by immersing it in Ganga water or clean water. This ritual is believed to make the Rudraksha pure and sacred.

  1. Worship and Abhisheka:

   – Abhisheka: Place the Rudraksha at a worship site and perform its abhisheka (ritual bathing) with cow’s milk, honey, Ganga water, or Panchamrit (a mixture of milk, curd, ghee, honey, and sugar).

   – Worship: Recite mantras such as “Om Namah Shivaya” or “Om Hreem Kleem Mahadevaya Namah” while performing the worship. During the ritual, place the Rudraksha on a clean cloth and offer a lamp (deepak) and flowers.

  1. Wearing Procedure:

   – Bathing and Cleanliness: Before wearing the Rudraksha, bathe and ensure that your body is completely clean.

   – Best Time: Wear the Rudraksha early in the morning at sunrise or during an auspicious time. It is especially auspicious to wear it on Mondays.

   – Method of Wearing: For wearing, thread the Rudraksha on a cotton or red thread and place it on your right wrist or neck. Wear it with freshness and devotion.

  1. Meditation and Practice:

   – Meditation:  After wearing the Rudraksha, spend some time meditating and practicing spirituality daily. You can remove it during meditation and place it at the worship site.

   – Routine: Use the Rudraksha regularly during meditation and worship. Avoid placing it in unclean or impure places.

  1. Special Considerations:

   – True Devotion: The most important aspect of wearing the Rudraksha is true devotion and faith. It should be worn regularly with prayer and respect.

   – Individual Use: Ensure that only one person wears the Rudraksha and do not share it with others.

Conclusion:

Wearing the 15-mukhi Rudraksha in the correct manner provides all its religious, spiritual, and material benefits. Wearing it with sincere devotion and faith brings peace, prosperity, and strength into one’s life.

Additional Information:

 

The Fifteen-Mukhi Rudraksha bead is consecrated by touching it to the holy Jyotirlinga at Kashi Vishwanath Temple and then ritually energized by renowned scholars of Kashi.

 

It may take 2 to 3 days to consecrate and energize the  Fifteen-Mukhi Rudraksha bead. Therefore, the dispatch of the item will occur 3 days after the order is received, and you will be notified of this via message, WhatsApp, or call.

 

We provide the  Fifteen-Mukhi Rudraksha bead as fully purified and consecrated. Its effectiveness depends on the individual’s intentions, purpose, and proper use. The complete method for wearing the  Fifteen-Mukhi Rudraksha and all related information have been provided above to ensure there is no doubt in the wearer’s mind. While 99 out of 100 people experience positive results, the outcome depends on the wearer’s intentions, planetary conditions, luck, and destiny. If the intention or purpose is not correct, or if it does not align with divine will, the expected results may not manifest. The results are ultimately in the hands of the divine. We are merely facilitators; performing actions is our duty, but delivering results is in the hands of the divine. Any item or object is just an aid; do not rely entirely on materials or remedies alone. Thank you.

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