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16 Mukhi Rudraksh (अभिमंत्रित 16 मुखी रुद्राक्ष मनका)

Original price was: ₹151,000.00.Current price is: ₹106,555.00.

धार्मिक मान्यता के अनुसार, 16-मुखी रुद्राक्ष की उत्पत्ति एक महत्वपूर्ण पौराणिक कथा और आध्यात्मिक परंपरा से जुड़ी हुई है। इसे विशेष रूप से भगवान शिव के साथ जोड़ा जाता है और इसे विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक लाभों के साथ जोड़ा जाता है। यहाँ 16 मुखी रुद्राक्ष की उत्पत्ति से जुड़ी एक प्रमुख कथा का विवरण प्रस्तुत है:

16 मुखी रुद्राक्ष की उत्पत्ति की कथा:

  1. धार्मिक परंपरा:

   – शिव के 16 स्वरूप: 16 मुखी रुद्राक्ष को भगवान शिव के 16 विभिन्न स्वरूपों और शक्तियों का प्रतीक माना जाता है। इसे विशेष रूप से शिव के विविध पहलुओं और उनके दिव्य गुणों से जोड़ा जाता है।

  1. पौराणिक कथा:

   – सृष्टि और यज्ञ: एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने सृष्टि की रक्षा और समग्र संतुलन बनाए रखने के लिए तपस्या की और विभिन्न यज्ञ किए। इन यज्ञों के दौरान, शिव ने 16 मुखी रुद्राक्ष को उत्पन्न किया। यह रुद्राक्ष भगवान शिव के 16 प्रमुख स्वरूपों और उनकी शक्तियों का प्रतीक है।

   – सहायता और संरक्षण: कुछ मान्यताओं के अनुसार, 16 मुखी रुद्राक्ष को उत्पन्न करने के लिए भगवान शिव ने देवताओं और अन्य शक्तियों के साथ सहयोग किया। यह रुद्राक्ष विशेष रूप से उन भक्तों के लिए है जो शक्ति, संरक्षण, और दिव्यता की खोज में हैं।

  1. शिव के 16 स्वरूप:

   – विभिन्न शक्तियों का प्रतीक: 16 मुखी रुद्राक्ष को भगवान शिव के 16 स्वरूपों का प्रतिनिधित्व माना जाता है, जिनमें विभिन्न दिव्य शक्तियाँ और गुण शामिल होते हैं। इन स्वरूपों में विभिन्न प्रकार की ऊर्जा और तत्व होते हैं जो भक्तों को मानसिक, आध्यात्मिक, और भौतिक लाभ प्रदान करते हैं।

  1. आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व:

   – आध्यात्मिक उन्नति: 16 मुखी रुद्राक्ष पहनने से व्यक्ति को आत्मज्ञान, ध्यान, और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। यह ध्यान और साधना में गहराई लाता है और आंतरिक शांति प्रदान करता है।

   – धार्मिक प्रभाव: इसे विशेष रूप से धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा में उपयोग किया जाता है, जो धार्मिक शक्ति और आशीर्वाद को बढ़ावा देने में सहायक होते हैं।

इस प्रकार, 16 मुखी रुद्राक्ष की उत्पत्ति की कथाएँ और मान्यताएँ इसे एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली वस्त्र मानती हैं, जो भक्तों को आध्यात्मिक, मानसिक, और भौतिक लाभ प्रदान करती हैं।

According to religious beliefs, the origin of the 16-mukhi Rudraksha is associated with a significant mythological story and spiritual tradition. It is particularly linked to Lord Shiva and is considered to have special religious and spiritual benefits. Here is a description of a prominent legend associated with the origin of the 16-mukhi Rudraksha:

Legend of the Origin of the 16-Mukhi Rudraksha:

  1. Religious Tradition:

   – The 16 Forms of Shiva: The 16-mukhi Rudraksha is regarded as a symbol of the 16 different forms and powers of Lord Shiva. It is especially associated with the various aspects of Shiva and his divine qualities.

  1. Mythological Story:

   – Creation and Yajnas: According to one mythological account, Lord Shiva performed deep penance and conducted various Yajnas (sacrifices) to protect the creation and maintain cosmic balance. During these Yajnas, Lord Shiva manifested the 16-mukhi Rudraksha. This Rudraksha symbolizes the 16 primary forms of Shiva and their powers.

   – Assistance and Protection: In some traditions, it is believed that to manifest the 16-mukhi Rudraksha, Lord Shiva collaborated with other deities and divine powers. This Rudraksha is especially for devotees seeking strength, protection, and divine grace.

  1. The 16 Forms of Shiva:

   – Symbol of Various Powers: The 16-mukhi Rudraksha represents the 16 forms of Lord Shiva, each embodying different divine powers and qualities. These forms contain diverse types of energy and elements that provide mental, spiritual, and physical benefits to devotees.

  1. Spiritual and Religious Significance:

   – Spiritual Advancement: Wearing the 16-mukhi Rudraksha provides self-knowledge, enhances meditation, and leads to spiritual growth. It deepens concentration in meditation and brings inner peace.

   – Religious Impact: It is used in religious rituals and ceremonies, promoting religious power and blessings.

Thus, the legends and beliefs associated with the origin of the 16-mukhi Rudraksha regard it as a highly sacred and powerful object, offering spiritual, mental, and physical benefits to its devotees.

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Product Description in Hindi : 

16 मुखी रुद्राक्ष का महत्व (Importance of 16-Mukhi Rudraksha)

16 मुखी रुद्राक्ष को विशेष धार्मिक, आध्यात्मिक, और भौतिक लाभों के साथ जोड़ा जाता है। इसे भगवान शिव के 16 विभिन्न स्वरूपों का प्रतीक माना जाता है और इसके धारण से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:

  1. शिव के 16 स्वरूप:

   – दिव्य शक्तियों का प्रतीक: 16 मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव के 16 स्वरूपों का प्रतिनिधित्व करता है, जो विभिन्न दिव्य शक्तियाँ और गुण प्रदान करते हैं। ये स्वरूप शक्ति, समृद्धि, और संरक्षण के प्रतीक होते हैं।

  1. आध्यात्मिक उन्नति:

   – आध्यात्मिक जागरूकता: इसे पहनने से आत्मज्ञान प्राप्त होता है और ध्यान में गहराई आती है। यह मानसिक शांति और संतुलन को बढ़ावा देता है, जिससे व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है।

  1. धार्मिक और भौतिक लाभ:

   – धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोग: 16 मुखी रुद्राक्ष का धार्मिक अनुष्ठानों, पूजा और यज्ञों में विशेष महत्व है। यह धार्मिक शक्ति और आशीर्वाद को बढ़ावा देने में सहायक होता है।

   – धन और समृद्धि: इसे पहनने से व्यक्ति के जीवन में धन, समृद्धि, और व्यापारिक सफलता प्राप्त होती है। यह सकारात्मक ऊर्जा और आर्थिक समृद्धि का प्रवाह बढ़ाता है।

  1. स्वास्थ्य और संबंधों में सुधार:

   – स्वास्थ्य लाभ: यह रुद्राक्ष शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में सहायक होता है। यह तनाव, चिंता, और अवसाद को कम करने में मदद करता है।

   – संबंधों में समर्थन: यह पारिवारिक और व्यक्तिगत संबंधों में सुधार लाने में मदद कर सकता है और एक सामंजस्यपूर्ण वातावरण बनाए रखने में सहायक होता है।

16 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने की विधि (Method of Wearing 16-Mukhi Rudraksha)

16 मुखी रुद्राक्ष को सही तरीके से धारण करने से इसके सभी धार्मिक, आध्यात्मिक, और भौतिक लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। यहाँ इसकी धारण करने की विधि का विवरण प्रस्तुत है:

  1. चयन और शुद्धिकरण:

   – रुद्राक्ष की खरीदारी: सुनिश्चित करें कि 16 मुखी रुद्राक्ष की खरीदारी एक विश्वसनीय और प्रमाणित विक्रेता से की जाए।

   – शुद्धिकरण: रुद्राक्ष को घर लाने के बाद, इसे गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं। इसे शुद्ध और पवित्र मानना चाहिए।

  1. पूजा और अभिषेक:

   – अभिषेक: रुद्राक्ष को पूजा स्थल पर रखकर, इसका अभिषेक गाय के दूध, शहद, गंगाजल, या पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर) से करें।

   – पूजा: रुद्राक्ष की पूजा के लिए ध्यान और मंत्र जप करें। विशेष रूप से, “ॐ नमः शिवाय” या “ॐ ह्लीं क्लीं महादेवाय नमः” जैसे मंत्रों का जप करें। पूजा के दौरान, रुद्राक्ष को एक शुद्ध वस्त्र पर रखें और दीपक और फूल अर्पित करें।

  1. पहनने की विधि:

   – स्नान और स्वच्छता: रुद्राक्ष को पहनने से पहले, अपने शरीर को स्नान करके पूरी तरह से स्वच्छ करें।

   – सर्वोत्तम समय: रुद्राक्ष को सुबह-सुबह सूरज उगने के समय या किसी शुभ मुहूर्त में पहनना चाहिए। इसे विशेष रूप से सोमवार को पहनना अधिक शुभ माना जाता है।

   – धारण की विधि: रुद्राक्ष को धारण करने के लिए, इसे सूती या लाल धागे में डालकर अपनी दाहिनी कलाई या गले में पहन सकते हैं। इसे ताजगी और श्रद्धा के साथ पहनें।

  1. ध्यान और साधना:

   – ध्यान: रुद्राक्ष को पहनने के बाद, दिन में कुछ समय ध्यान और साधना करें। इसे ध्यान के समय अपने शरीर से निकालकर पूजा स्थल पर रख सकते हैं।

   – वृत्ति: रुद्राक्ष को नियमित रूप से ध्यान और पूजा के समय उपयोग करें। इसे कभी भी उथला या नापाक स्थान पर न रखें।

  1. विशेष ध्यान:

   – सच्ची श्रद्धा: रुद्राक्ष को पहनने का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है सच्ची श्रद्धा और विश्वास। इसे ध्यान और पूजा के साथ नियमित रूप से पहनना चाहिए।

   – संगति: ध्यान रखें कि रुद्राक्ष को केवल एक व्यक्ति ही धारण करे, और इसे दूसरों के साथ साझा न करें।

निष्कर्ष:

16 मुखी रुद्राक्ष का सही तरीके से धारण करने से इसके धार्मिक, आध्यात्मिक, और भौतिक लाभ प्राप्त होते हैं। इसे सच्चे मन और श्रद्धा के साथ पहनने से जीवन में शांति, समृद्धि, और शक्ति आती है।

अतिरिक्त जानकारियां –

 

  • 16 मुखी रुद्राक्ष काशी विश्वनाथ धाम में पवित्र ज्योतिर्लिंग से स्पर्श कराकर काशी के विद्वान् पण्डितों द्वारा इसे अभिमंत्रित किया जाता है । 
  • 16 मुखी रुद्राक्ष को अभिमंत्रित और सिद्ध करने में 2 से 3 दिन का समय लग सकता है । इस वजह से सामग्री ऑर्डर प्राप्ति से 3 दिन बाद डिस्पैच की जाएगी जिसकी सूचना मैसेज, व्हाट्सअप या कॉल द्वारा दे दी जाएगी ।
  • हमारी तरफ से 16 मुखी रुद्राक्ष को पूर्णतः शुद्ध और अभिमंत्रित (सिद्ध) करके दिया जाता है, इसका परिणाम व्यक्ति की भावना, उद्देश्य एवं सदुपयोग पर निर्भर करता है । 16 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने की सम्पूर्ण विधि सामग्री के साथ ही संलग्न रहती है जिससे धारण करने वाले के मन में कोई संशय न रहे। 100 में से 99 लोगों को इसका अच्छा परिणाम मिलता है। व्यक्ति किस उद्देश्य या भावना के साथ इसे धारण करना चाहता है, यह उसकी नीयत, गृह दशाएं, भाग्य एवं प्रारब्ध पर निर्भर करता है। यदि उद्देश्य या भावना सही नहीं है और प्रकृति या भगवान् की मर्जी किसी काम में नहीं रहती है तो इसका परिणाम  नहीं भी मिल पाता है। इसका परिणाम मिलना न मिलना भगवान् के हाथ में है। हम भगवान् के सेवक मात्र हैं, कर्म करना हमारा काम है फल देना ईश्वर के हाथ में है। कोई भी सामग्री या वस्तु आपकी सहायता मात्र के लिए है।  पूर्णतः सामग्रियों या उपायों के अधीन न रहें, धन्यवाद। 

 

Disclaimer : The photo used is for illustrative purposes only. Actual content may differ from this photo.

Product Description in English : 

Importance of 16-Mukhi Rudraksha

The 16-mukhi Rudraksha is highly regarded for its religious, spiritual, and material benefits. It is considered a symbol of the 16 different forms of Lord Shiva and provides various advantages when worn. Here are the key points regarding its importance:

  1. 16 Forms of Shiva:

   – Symbol of Divine Powers: The 16-mukhi Rudraksha represents the 16 forms of Lord Shiva, embodying various divine powers and qualities. These forms symbolize power, prosperity, and protection.

  1. Spiritual Advancement:

   – Spiritual Awareness: Wearing this Rudraksha enhances self-realization and deepens meditation. It promotes mental peace and balance, leading to spiritual growth.

  1. Religious and Material Benefits:

   – Use in Religious Rituals: The 16-mukhi Rudraksha holds significant value in religious rituals, worship, and sacrifices. It aids in enhancing religious power and blessings.

   – Wealth and Prosperity: Wearing it brings wealth, prosperity, and business success into one’s life. It increases the flow of positive energy and financial prosperity.

  1. Health and Relationship Improvement:

   – Health Benefits: This Rudraksha helps improve physical and mental health. It aids in reducing stress, anxiety, and depression.

   – Support in Relationships: It can improve familial and personal relationships, fostering a harmonious environment.

Method of Wearing 16-Mukhi Rudraksha

To obtain all the religious, spiritual, and material benefits of the 16-mukhi Rudraksha, it should be worn correctly. Here is the method for wearing it:

  1. Selection and Purification:

   – Purchase: Ensure the 16-mukhi Rudraksha is purchased from a reputable and certified seller.

   – Purification: After bringing the Rudraksha home, bathe it with Ganges water or pure water to purify it.

  1. Worship and Abhishek:

   – Abhishek: Place the Rudraksha at a place of worship and perform Abhishek (ritual bathing) with cow’s milk, honey, Ganges water, or Panchamrit (a mixture of milk, curd, ghee, honey, and sugar).

   – Worship: Recite mantras such as “Om Namah Shivaya” or “Om Hleem Kleem Mahadevaya Namah” during the worship. Place the Rudraksha on a clean cloth and offer a lamp and flowers.

  1. Wearing Method:

   – Bath and Cleanliness: Before wearing, ensure your body is clean by taking a bath.

   – Optimal Time: Wear the Rudraksha during sunrise or at an auspicious time. It is particularly auspicious to wear it on Mondays.

   – Method of Wearing: Thread the Rudraksha on a cotton or red string and wear it on your right wrist or around your neck. Wear it with reverence and respect.

  1. Meditation and Practice:

   – Meditation: After wearing the Rudraksha, spend some time in meditation and spiritual practice. It can be removed during meditation and placed at the worship area.

   – Regular Use: Use the Rudraksha regularly during meditation and worship. Avoid placing it in unclean or improper places.

  1. Special Attention:

   – True Devotion: The most important aspect of wearing the Rudraksha is true devotion and faith. It should be worn regularly with meditation and worship.

   – Individual Use: Ensure that the Rudraksha is worn by only one person and is not shared with others.

Conclusion

Wearing the 16-mukhi Rudraksha correctly brings religious, spiritual, and material benefits. Wearing it with true devotion and faith brings peace, prosperity, and power into one’s life.

Additional Information:

 

The Sixteen-Mukhi Rudraksha bead is consecrated by touching it to the holy Jyotirlinga at Kashi Vishwanath Temple and then ritually energized by renowned scholars of Kashi.

 

It may take 2 to 3 days to consecrate and energize the Sixteen-Mukhi Rudraksha bead. Therefore, the dispatch of the item will occur 3 days after the order is received, and you will be notified of this via message, WhatsApp, or call.

 

We provide the Sixteen-Mukhi Rudraksha bead as fully purified and consecrated. Its effectiveness depends on the individual’s intentions, purpose, and proper use. The complete method for wearing the Sixteen-Mukhi Rudraksha and all related information have been provided above to ensure there is no doubt in the wearer’s mind. While 99 out of 100 people experience positive results, the outcome depends on the wearer’s intentions, planetary conditions, luck, and destiny. If the intention or purpose is not correct, or if it does not align with divine will, the expected results may not manifest. The results are ultimately in the hands of the divine. We are merely facilitators; performing actions is our duty, but delivering results is in the hands of the divine. Any item or object is just an aid; do not rely entirely on materials or remedies alone. Thank you

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