The four-faced Rudraksha is a wonderful and powerful bead that frees the wearer from various astrological and physical problems. Wearing it brings happiness, prosperity, and immense success in life. This Rudraksha originated from the tears of Lord Shiva and is found in India, Nepal, and Indonesia.
The Four-Mukhi Rudraksha, believed to embody Brahma and Goddess Saraswati, enhances knowledge and intellect. Additionally, it symbolizes the four Vedas and four goals—Dharma, Artha, Kama, and Moksha—bringing balance and prosperity to life.
Benefits of Wearing Four-Mukhi Rudraksha
- Wearing the Four-Mukhi Rudraksha offers several significant benefits. Firstly, it strengthens concentration and enhances intelligence. Additionally, it positively impacts speech, adding sweetness to conversations.
- Moreover, this Rudraksha is considered highly auspicious for those on a spiritual path. It also boosts the ability to meditate and aids in spiritual growth.
- According to astrology, individuals with a weak Mercury in their horoscope benefit greatly from wearing this Rudraksha. Furthermore, it facilitates the attainment of Dharma, Artha, Kama, and Moksha.
- In addition, wearing the Four-Mukhi Rudraksha provides social respect and enhances status in society. This Rudraksha helps in controlling logical and structured thinking.
- Finally, it proves very beneficial for overcoming issues related to business, intellect, and speech.
Thus, wearing the Four-Mukhi Rudraksha not only brings about spiritual benefits but also leads to positive changes in one’s material life.
How to Wear Four-Mukhi Rudraksha:
Wearing the Four-Mukhi Rudraksha involves following specific rituals to harness its benefits.
- First, it is considered most auspicious to wear it on a Wednesday or Monday.
- Next, on that day, take a bath and wear clean clothes. After that, sit facing the north direction in your home or temple.
- Then, place the Four-Mukhi Rudraksha on a peepal leaf and wash it with Ganga water and Panchamrit. In the next step, offer flowers on the Rudraksha and light incense.
- Now, hold the Rudraksha in your hand and chant the mantra “AUM HRIM NAMAH” 108 times. Finally, after chanting, you can wear the Four-Mukhi Rudraksha.
Following this method not only helps you gain the benefits of the Four-Mukhi Rudraksha but also provides spiritual and mental balance.
Rules for Wearing Four-Mukhi Rudraksha:
- When wearing the Four-Mukhi Rudraksha, it’s essential to follow certain precautions to gain its full benefits. First of all, it should never be touched with dirty hands, as it is a sacred object.
- Additionally, it should be removed while bathing, as excessive water and soap can damage it. When you go to sleep, it should also be taken off.
- Moreover, do not wear it while visiting a cremation ground. For extra caution, keep it away from oil, perfumes, soaps, and other chemicals, as these can harm its outer surface.
- Remember, after wearing the Rudraksha, avoid consuming alcohol and meat; instead, strive for a sattvic lifestyle. Finally, perform a daily worship of the Rudraksha in the morning and chant the mantra “Om Namah Shivaya” before wearing it.
By adhering to these rules, you can receive the full benefits of the Four-Mukhi Rudraksha.
Additional Information :
- The 4-faced Rudraksha bead is consecrated by touching it to the sacred Jyotirlinga at Kashi Vishwanath Dham and is then blessed by the renowned scholars of Kashi. This process bestows it with special power and beneficial energy.
- It may take 3 to 4 days to consecrate and empower the 4-faced Rudraksha bead. Therefore, the materials will be dispatched 7 days after the order is received. You will be informed about this process via message, WhatsApp, or call.
- On our part, the 4-faced Rudraksha bead is completely purified and consecrated (empowered). However, its results depend on the individual’s intention and purpose. Therefore, it is essential for the purpose to be correct; otherwise, the desired results may not be achieved. The outcome is in the hands of God.
Product Description in Hindi :
चार मुखी रुद्राक्ष एक शक्तिशाली और लाभकारी मनका है। यह धारक को ज्योतिषीय और शारीरिक समस्याओं से राहत देता है। इसे पहनने से सुख, समृद्धि, और सफलता प्राप्त होती है। यह भगवान शिव के आंसुओं से बना है, और भारत, नेपाल, और इंडोनेशिया में मिलता है।
चार मुखी रूद्राक्ष, जिसे ब्रह्मदेव और देवी सरस्वती का वास माना जाता है, ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि करता है। इसके अलावा, यह चार वेदों और चार लक्ष्यों—धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रतीक है, जिससे जीवन में संतुलन और समृद्धि प्राप्त होती है।
चार-मुखी रुद्राक्ष का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है और इसे विभिन्न लाभों के लिए पूजा जाता है। यहाँ इसका महत्व विस्तार से बताया गया है:
चार मुखी रुद्राक्ष के फ़ायदे
चार मुखी रुद्राक्ष पहनने के कई महत्वपूर्ण फ़ायदे हैं। सबसे पहले, यह व्यक्ति की एकाग्रता को मज़बूत करता है और बुद्धि का विकास करता है। इसके अलावा, यह वाणी पर अनुकूल प्रभाव डालता है, जिससे बातों में मधुरता आती है।
इसी तरह, यह रुद्राक्ष आध्यात्मिक पथ पर अग्रसर लोगों के लिए भी अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे, ध्यान की क्षमता प्रबल होती है और व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिनकी कुंडली में बुध ग्रह कमज़ोर होता है, उन्हें इस रुद्राक्ष को धारण करने से विशेष लाभ मिलता है। इससे, धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष की प्राप्ति संभव होती है।
इसके अलावा, चार मुखी रुद्राक्ष पहनने से व्यक्ति को समाज में मान-सम्मान और पद-प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। यह रुद्राक्ष, तार्किक और संरचनात्मक सोच को नियंत्रित करने में मदद करता है।
अंत में, बिज़नेस, बुद्धि, और वाणी से जुड़ी परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए यह रुद्राक्ष बहुत फ़ायदेमंद साबित होता है।
इस प्रकार, चार मुखी रुद्राक्ष का धारण करना न केवल आध्यात्मिक बल्कि भौतिक जीवन में भी सकारात्मक परिवर्तन लाता है।
कैसे पहनें और उपयोग करें चार-मुखी रुद्राक्ष
- चार मुखी रुद्राक्ष को धारण करने के लिए कुछ विशेष उपायों का पालन करना आवश्यक है। सबसे पहले, इसे पहनने के लिए बुधवार या सोमवार का दिन सबसे शुभ माना जाता है।
- फिर, उस दिन सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। इसके बाद, अपने घर या मंदिर में उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं।
- इसके बाद, चार मुखी रुद्राक्ष को पीपल के पत्ते पर रखकर गंगा जल और पंचामृत से धोएं। अगले चरण में, रुद्राक्ष के ऊपर पुष्प अर्पित करें और धूप बत्ती जलाएं।
- अब, रुद्राक्ष को हाथ में लेकर 108 बार “ऊँ हृरीम नमः” मंत्र का जाप करें। अंत में, इस प्रकार मंत्र जाप करने के बाद, आप चार मुखी रुद्राक्ष को धारण कर सकते हैं।
इस विधि से चार मुखी रुद्राक्ष पहनने से न केवल इसका लाभ मिलता है, बल्कि यह आपको आध्यात्मिक और मानसिक संतुलन प्रदान करता है।
चार मुखी रुद्राक्ष पहनने के नियम:
चार मुखी रुद्राक्ष को धारण करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सावधानियों का पालन करना आवश्यक है।
- सबसे पहले, इसे गंदे हाथों से नहीं छूना चाहिए, क्योंकि यह एक पवित्र वस्तु है।
- इसके अलावा, नहाते समय रुद्राक्ष को उतार देना चाहिए, क्योंकि अधिक पानी और साबुन इसके लिए हानिकारक हो सकते हैं। जब आप सोते हैं, तो भी इसे हटाना चाहिए।
- इसके साथ ही, शमशान भूमि में रुद्राक्ष पहनकर नहीं जाना चाहिए। अतिरिक्त सावधानी के लिए, इसे तेल, परफ्यूम, साबुन, और अन्य रसायनों से बचाकर रखना चाहिए, क्योंकि ये इसकी ऊपरी सतह को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
- याद रखें, रुद्राक्ष पहनने के बाद मदिरापान और मांस का सेवन नहीं करना चाहिए; बल्कि एक सात्विक जीवन जीना चाहिए। अंत में, रोज़ सुबह रुद्राक्ष की पूजा करें और भगवान शिव के मंत्र “ऊँ नमः शिवाय” का जाप करके ही इसे धारण करें।
इन नियमों का पालन करने से आप चार मुखी रुद्राक्ष के पूर्ण लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
अतिरिक्त जानकारियां :
- 4 मुखी रुद्राक्ष मनका काशी विश्वनाथ धाम में पवित्र ज्योतिर्लिंग से स्पर्श कराकर, विश्व प्रसिद्ध काशी के विद्वान् पंडितों द्वारा अभिमंत्रित किया जाता है। इस प्रक्रिया से इसे विशेष शक्ति और कल्याणकारी ऊर्जा प्राप्त होती है।
- 4 मुखी रुद्राक्ष मनका को अभिमंत्रित और सिद्ध करने में 3 से 4 दिन का समय लग सकता है। इसलिए, सामग्री ऑर्डर प्राप्ति के 7 दिन बाद डिस्पैच की जाएगी। इस प्रक्रिया की सूचना आपको मैसेज, व्हाट्सएप या कॉल द्वारा दे दी जाएगी।
- हमारी ओर से 4 मुखी रुद्राक्ष मनका पूर्णत: शुद्ध और अभिमंत्रित (सिद्ध) किया जाता है। हालाँकि, इसका परिणाम व्यक्ति की भावना और उद्देश्य पर निर्भर करता है। इसलिए, उद्देश्य सही होना आवश्यक है; अन्यथा, परिणाम प्राप्त नहीं हो सकता है। फल भगवान के हाथ में है।
Disclaimer : The photo used is for illustrative purposes only. Actual content may differ from this photo.