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बरसी श्राद्ध – गीता पाठ सहित (Barsi Shraddha – Including Geeta Recitation)

Original price was: ₹8,070.00.Current price is: ₹7,018.00.

बरसी श्राद्ध उस विशेष दिन को मनाने के लिए आयोजित किया जाता है जब किसी व्यक्ति की मृत्यु को एक वर्ष पूरा होता है। यह अनुष्ठान विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह मृत्यु के एक वर्ष की पूर्णता पर श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर होता है। इसमें गीता पाठ भी महत्वपूर्ण होता है जो पुण्य अर्जन और शांति के लिए किया जाता है।

Barsai Shraddh is conducted to commemorate the specific day when a person’s death marks the completion of one year. This ritual is particularly significant as it provides an opportunity to pay tribute on the first anniversary of the death. The recitation of the Bhagavad Gita is also an important part of the ritual, as it is performed to earn merit and seek peace.

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Detailed Information in Hindi :

बरसी श्राद्ध की विधि :

  1. तैयारी और प्रस्तावना :

   – स्थान की सफाई : पूजा स्थल को पूरी तरह से साफ करें और एक पवित्र स्थान पर पूजा की तैयारी करें।

   – व्रति का स्नान : जो व्यक्ति श्राद्ध कर रहा है, उसे स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए।

  1. पूजा सामग्री :

   – जल और गंगाजल : शुद्ध जल और गंगाजल एक पात्र में रखें।

   – पुष्प : ताजे फूल, जैसे कुमुद, चंपा, और गुलाब का प्रयोग करें।

   – दीपक : घी का दीपक तैयार करें।

   – अन्न और पिंड : उबले चावल, तिल, गुड़, और पिंड (प्रत्येक पिंड एक ब्राह्मण या पूर्वज का प्रतिनिधित्व करता है)।

  1. पूजा विधि :

   – आवाहन और आसन : पूर्वजों या पितरों के चित्र या प्रतिमा को पूजा स्थल पर रखें।

   – पवित्रता की प्रार्थना : जल से स्थल और वस्त्रों को पवित्र करें और भगवान विष्णु, ब्रह्मा, और पितरों की प्रार्थना करें।

   – दीप प्रज्वलन : घी का दीपक जलाएं और उसकी लौ के सामने पूजा करें।

  1. गीता पाठ :

   – गीता का पाठ : गीता का नियमित पाठ करें। विशेषकर उस समय के लिए उपयुक्त श्लोकों का चयन करें जो शांति और मोक्ष के लिए होते हैं।

   – शांति पाठ : गीता के श्लोकों के माध्यम से शांति की प्रार्थना करें और पूर्वजों के लिए आशीर्वाद प्राप्त करें।

  1. अन्न अर्पण और तर्पण :

   – पिंड अर्पण : पिंड को उचित रूप से अर्पित करें और श्रद्धा पूर्वक उन्हें ब्राह्मण या पितरों को समर्पित करें।

   – अन्न अर्पण : ताजे अन्न, मिठाई, और फल को पितरों के चित्र के सामने अर्पित करें।

   – तर्पण : पितरों को जल से तर्पण करें और उनके लिए प्रार्थना करें कि उनकी आत्मा को शांति मिले।

  1. ब्राह्मणों को भोजन और दक्षिणा :

   – भोजन और दक्षिणा : एक या कई ब्राह्मणों को आमंत्रित करें और उन्हें भोजन कराएं। उन्हें उचित दक्षिणा (वेतन) भी दें।

  1. अंतिम पूजन :

   – आरती : भगवान की आरती करें और आशीर्वाद प्राप्त करें।

   – प्रसाद वितरण : पूजा के बाद प्रसाद वितरण करें और सभी को प्रसाद का सेवन कराएं।

बरसी श्राद्ध में गीता पाठ और श्राद्ध विधि को पालन करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार को आशीर्वाद प्राप्त होता है।

विशेष ध्यान दें:

– आध्यात्मिक भावना: अनुष्ठान को पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ करें।

– शुद्धता: पूजा और अनुष्ठान के दौरान शुद्धता बनाए रखें।

– गुरु का मार्गदर्शन: यदि संभव हो, तो किसी योग्य गुरु या तांत्रिक से मार्गदर्शन प्राप्त करें। अथवा काशीपुरम के माध्यम से इस अनुष्ठान को कराने पर आपको योग्य गुरु का सानिध्य प्रदान कराया जाएगा। 

– काशीपुरम द्वारा अनुष्ठान कराये जाने पर अनुष्ठान सामग्री की व्यवस्था काशीपुरम ही करता है जिसके लिए अलग से किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है। 

– काशी से बाहर व्यक्तिगत रूप से यह अनुष्ठान कराने पर ब्राह्मण पुरोहितों के आने जाने और रहने खाने की व्यवस्था यजमान को अलग से करनी पड़ेगी। 

अतिरिक्त जानकारियां : 

– यह अनुष्ठान काशीपुरम के विद्वान् ब्राह्मणों द्वारा आयोजित कराया जाएगा । 

– अनुष्ठान बुक करने के बाद काशीपुरम की टीम आपसे संपर्क करके विस्तृत जानकारी इकठ्ठा करेगी और आवयश्यकता पड़ने पर अनुष्ठान को आयोजित कराने वाले ब्राह्मण पुरोहित से भी बात कराया जाएगा। 

– काशीपुरम के विद्वान् ब्राह्मण पुरोहितों द्वारा अनुष्ठान को पूरे विधि विधान से आयोजित कराया जाता है , इसका परिणाम व्यक्ति की भावना, उद्देश्य एवं सदुपयोग पर निर्भर करता है । अनुष्ठान की संक्षिप्त विधि इसके लाभ और संक्षिप्त जानाक्रियां ऊपर दी हुई हैं जिससे अनुष्ठान कराने वाले भक्त के मन में कोई संशय न रहे। 100 में से 99 लोगों को इसका अच्छा परिणाम मिलता है। व्यक्ति किस उद्देश्य या भावना के साथ इस अनुष्ठान को कराना चाहता है, यह उसकी नीयत, गृह दशाएं, भाग्य एवं प्रारब्ध पर निर्भर करता है। यदि उद्देश्य या भावना सही नहीं है और प्रकृति या भगवान् की मर्जी किसी काम में नहीं रहती है तो इसका परिणाम नहीं भी मिल पाता है। इसका परिणाम मिलना न मिलना भगवान् के हाथ में है। हम भगवान् के सेवक मात्र हैं, कर्म करना हमारा काम है फल देना ईश्वर के हाथ में है। कोई भी अनुष्ठान आपकी सहायता मात्र के लिए है। पूर्णतः अनुष्ठानों या उपायों के अधीन न रहें, 

धन्यवाद !

Detailed Information in English :

Barsai Shraddh Procedure :

  1. Preparation and Introduction :

   – Cleaning the Space : Thoroughly clean the place of worship and prepare a sacred area for the ceremony.

   – Bathing the Performer : The person performing the Shraddh should take a bath and wear clean clothes.

  1. Worship Materials :

   – Water and Ganges Water : Keep pure water and Ganges water in a container.

   – Flowers : Use fresh flowers, such as lotus, champa, and rose.

   – Lamp : Prepare a ghee lamp.

   – Food and Pind : Boiled rice, sesame seeds, jaggery, and pind (each pind represents a Brahmin or ancestor).

  1. Ritual Procedure :

   – Invocation and Seating : Place the pictures or idols of ancestors at the worship site.

   – Purification Prayer : Purify the area and items with water, and pray to Lord Vishnu, Brahma, and the ancestors.

   – Lighting the Lamp : Light the ghee lamp and conduct the worship in front of its flame.

  1. Bhagavad Gita Recitation :

   – Gita Reading : Recite the Bhagavad Gita, focusing on verses that are suitable for peace and liberation.

   – Peace Prayer : Pray for peace through the verses of the Gita and seek blessings for the ancestors.

  1. Offering Food and Tarpan :

   – Pind Offering : Properly offer the pind and dedicate them to Brahmins or ancestors with devotion.

   – Food Offering : Offer fresh food, sweets, and fruits in front of the pictures of the ancestors.

   – Tarpan : Perform tarpana (water offering) to the ancestors and pray for their souls to find peace.

  1. Feeding Brahmins and Offering Donations :

   – Meal and Donations : Invite one or more Brahmins, provide them with a meal, and give them appropriate donations (honorarium).

  1. Final Worship :

   – Aarti : Perform Aarti for the deity and receive blessings.

   – Distribution of Prasad : Distribute Prasad after the ritual and ensure everyone partakes in it.

By following the Gita recitation and the Shraddh ritual, the ancestors’ souls are believed to find peace, and the family receives blessings.

Special Notes:

   – Spiritual Attitude: Conduct the ritual with full devotion and faith.

   – Purity: Maintain purity throughout the ritual and worship.

   – Guidance from a Guru: If possible, seek guidance from a qualified guru or tantric. Alternatively, Kashi Puram will arrange for a qualified guru to assist with the ritual.

   – Material Arrangement by Kashi Puram: Kashi Puram will provide all ritual materials, with no additional fee. For personal rituals outside Kashi, the practitioner must arrange for the Brahmin priests’ travel, accommodation, and food.

Additional Information:

   – The ritual will be conducted by the learned Brahmins of Kashi Puram.

   – After booking the ritual, the Kashi Puram team will contact you to gather detailed information and, if necessary, connect you with the performing Brahmin priests.

   – The Brahmins will conduct the ritual with all due formalities, and its effectiveness depends on the practitioner’s intent, purpose, and proper use. The brief procedure and benefits provided are meant to address any doubts. Typically, 99 out of 100 individuals experience positive results. The outcome depends on the practitioner’s intention, home conditions, fortune, and destiny. If the intention is not correct or if nature or divine will does not support it, the result may not be achieved. The outcome is in the hands of the divine. We are mere servants of the divine, our duty is to perform the ritual, and the results are in the hands of God. Rituals are meant to assist, but do not rely entirely on them.

Thank you !

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