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पुण्य तिथि श्राद्ध (Death Anniversary Shraddha)

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पुण्यतिथि दरअसल वही तारीख होती है जिस दिन व्यक्ति की मृत्यु होती है। अगर आसान शब्दों में हम इसे समझें तो यह व्यक्ति का मरण दिन होता है। हर साल व्यक्ति के मरण दिन को ही पुण्यतिथि के तौर पर जाना जाता है। वहीं दूसरी ओर आप सभी यह बात तो जानते ही हैं कि जब किसी का जन्म होता है तो उस तिथि को जन्म तिथि के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म में मृत्यु को अशुभ माना जाता है और जन्म को शुभ माना जाता है।

 

हर साल श्राद्ध मनाया जाता है। हर साल श्राद्ध भाद्रपद की पूर्णिमा से शुरू होते हैं और अश्विन मास की अमावस तक मनाए जाते हैं। मान्यता के अनुसार जिस दिन पूर्वज की मृत्यु होती है, यानी जिस दिन मृत व्यक्ति की पुण्यतिथि होती है, उसी दिन उनका श्राद्ध किया जाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि जो पूर्वज होते हैं वो आश्विन कृष्ण पक्ष में 15 दिनों के लिए वापस धरती पर लौटकर आते हैं और जब उनका श्राद्ध किया जाता है तो उनकी आत्मा तृप्त हो जाती है। पितृ पक्ष के दौरान जो श्राद्ध किया जाता है उसे पार्णव श्राद्ध के नाम से जाना जाता है। इसी के साथ यह भी मानना है कि अगर उस समय में पूरे रीति रिवाज के साथ श्राद्ध किया जाता है तो पितृ ऋण से मुक्ति मिल जाती है।

 

Punyatithi is the anniversary of a person’s death, also known as the day of their passing. In simpler terms, it is the death anniversary of the individual. Each year, this day is observed as Punyatithi. On the other hand, the day of a person’s birth is known as their Janmadin or birth anniversary. In Hinduism, death is considered inauspicious while birth is seen as auspicious.

 

Shraddh is observed annually, beginning from the full moon day of Bhadrapad (Bhadrapada Purnima) and continuing until the new moon day of Ashwin (Ashwin Amavasya). According to tradition, the Shraddh for ancestors should be performed on the Punyatithi, the day of their death anniversary. It is believed that ancestors return to earth during the 15 days of Ashwin Krishna Paksha (the dark fortnight) and that performing Shraddh on this day satisfies their souls. This ritual, performed during the Pitru Paksha, is known as Purnav Shraddh. It is also believed that performing Shraddh with proper rituals during this period can free one from the ancestral debt (Pitru Rina).

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Detailed Information in Hindi :

पुण्यतिथि श्राद्ध की विधि :

  1. प्रस्तावना और तैयारी :

   – वृक्षों और स्थान की सफाई : पहले घर या पूजा स्थल को साफ करें और वहां एक शुद्ध स्थान पर पूजा की तैयारी करें।

   – व्रति का स्नान : जो व्यक्ति श्राद्ध कर रहा है, उसे स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए।

  1. पूजा सामग्री :

   – पानी और गंगाजल : शुद्ध जल और गंगाजल एक पात्र में रखें।

   – पुष्प : ताजे फूल, खासकर कुमुद, चंपा, और गुलाब का प्रयोग करें।

   – दीपक : घी का दीपक तैयार करें।

   – अन्न और पिंड : उबले चावल, तिल, गुड़, और पिंड (प्रत्येक पिंड एक ब्राह्मण या पूर्वज का प्रतिनिधित्व करता है)।

  1. पूजा विधि :

   – आवाहन और आसन : पूर्वजों या पितरों का स्वागत करने के लिए उनके चित्र या प्रतिमा को पूजा स्थल पर रखें। 

   – पवित्रता की प्रार्थना : जल से स्थल और वस्त्रों को पवित्र करें और भगवान विष्णु, ब्रह्मा, और पितरों की प्रार्थना करें।

   – दीप प्रज्वलन : घी का दीपक जलाएं और उसकी लौ के सामने पूजा करें।

  1. अन्न अर्पण और तर्पण :

   – पिंड अर्पण : पिंड को उचित रूप में अर्पित करें और श्रद्धा पूर्वक उन्हें ब्राह्मण या पितरों को समर्पित करें।

   – अन्न अर्पण : ताजे अन्न, मिठाई, और फल को पितरों के चित्र के सामने अर्पित करें।

   – तर्पण : पितरों को जल से तर्पण करें और उनके लिए प्रार्थना करें कि उनकी आत्मा को शांति मिले।

  1. ब्राह्मणों को भोजन और दक्षिणा :

   – भोजन और दक्षिणा : एक या कई ब्राह्मणों को आमंत्रित करें और उन्हें भोजन कराएं। उन्हें उचित दक्षिणा (वेतन) भी दें।

  1. अंतिम पूजन :

   – आरती : भगवान की आरती करें और आशीर्वाद प्राप्त करें।

   – प्रसाद वितरण : पूजा के बाद प्रसाद वितरण करें और सभी को प्रसाद का सेवन कराएं।

इस विधि से पुण्यतिथि पर श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार को आशीर्वाद प्राप्त होता है।

विशेष ध्यान दें:

– आध्यात्मिक भावना: अनुष्ठान को पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ करें।

– शुद्धता: पूजा और अनुष्ठान के दौरान शुद्धता बनाए रखें।

– गुरु का मार्गदर्शन: यदि संभव हो, तो किसी योग्य गुरु या तांत्रिक से मार्गदर्शन प्राप्त करें। अथवा काशीपुरम के माध्यम से इस अनुष्ठान को कराने पर आपको योग्य गुरु का सानिध्य प्रदान कराया जाएगा। 

– काशीपुरम द्वारा अनुष्ठान कराये जाने पर अनुष्ठान सामग्री की व्यवस्था काशीपुरम ही करता है जिसके लिए अलग से किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है। 

– काशी से बाहर व्यक्तिगत रूप से यह अनुष्ठान कराने पर ब्राह्मण पुरोहितों के आने जाने और रहने खाने की व्यवस्था यजमान को अलग से करनी पड़ेगी। 

अतिरिक्त जानकारियां : 

– यह अनुष्ठान काशीपुरम के विद्वान् ब्राह्मणों द्वारा आयोजित कराया जाएगा । 

– अनुष्ठान बुक करने के बाद काशीपुरम की टीम आपसे संपर्क करके विस्तृत जानकारी इकठ्ठा करेगी और आवयश्यकता पड़ने पर अनुष्ठान को आयोजित कराने वाले ब्राह्मण पुरोहित से भी बात कराया जाएगा। 

– काशीपुरम के विद्वान् ब्राह्मण पुरोहितों द्वारा अनुष्ठान को पूरे विधि विधान से आयोजित कराया जाता है , इसका परिणाम व्यक्ति की भावना, उद्देश्य एवं सदुपयोग पर निर्भर करता है । अनुष्ठान की संक्षिप्त विधि इसके लाभ और संक्षिप्त जानाक्रियां ऊपर दी हुई हैं जिससे अनुष्ठान कराने वाले भक्त के मन में कोई संशय न रहे। 100 में से 99 लोगों को इसका अच्छा परिणाम मिलता है। व्यक्ति किस उद्देश्य या भावना के साथ इस अनुष्ठान को कराना चाहता है, यह उसकी नीयत, गृह दशाएं, भाग्य एवं प्रारब्ध पर निर्भर करता है। यदि उद्देश्य या भावना सही नहीं है और प्रकृति या भगवान् की मर्जी किसी काम में नहीं रहती है तो इसका परिणाम नहीं भी मिल पाता है। इसका परिणाम मिलना न मिलना भगवान् के हाथ में है। हम भगवान् के सेवक मात्र हैं, कर्म करना हमारा काम है फल देना ईश्वर के हाथ में है। कोई भी अनुष्ठान आपकी सहायता मात्र के लिए है। पूर्णतः अनुष्ठानों या उपायों के अधीन न रहें, 

धन्यवाद !

Detailed Information in English :

Punyatithi Shraddh Procedure :

  1. Preparation and Setup :

   – Cleaning the Area : First, clean the house or the place of worship and prepare a clean spot for the ritual.

   – Bathing the Performer : The person performing the Shraddh should bathe and wear clean clothes.

  1. Items Required for the Ritual :

   – Water and Gangajal : Keep pure water and Gangajal (sacred river water) in a container.

   – Flowers : Use fresh flowers, especially Kumud (lotus), Champa, and Rose.

   – Lamp : Prepare a ghee lamp.

   – Food and Pind : Cooked rice, sesame seeds, jaggery, and Pind (offering representing ancestors).

  1. Ritual Procedure :

   – Invocation and Seating : Place pictures or idols of ancestors or deities on the worship site for their welcome.

   – Purification Prayer : Purify the space and items with water and pray to Lord Vishnu, Brahma, and the ancestors.

   – Lighting the Lamp : Light the ghee lamp and perform the worship in front of its flame.

  1. Offering of Food and Tarpan :

   – Offering Pind : Offer the Pind properly and dedicate it to Brahmins or ancestors with devotion.

   – Offering Food : Place fresh food, sweets, and fruits in front of the ancestors’ pictures.

   – Tarpan : Perform Tarpan (offering of water) to the ancestors and pray for their souls’ peace.

  1. Feeding Brahmins and Giving Dakshina :

   – Feeding and Dakshina : Invite one or more Brahmins and provide them with a meal. Also, give them appropriate Dakshina (compensation).

  1. Final Worship :

   – Aarti : Perform Aarti (a ritual involving light) for the deities and seek blessings.

   – Distribution of Prasad : After the worship, distribute Prasad (holy offering) and ensure everyone partakes in it.

Performing Shraddh on the Punyatithi following this procedure brings peace to the ancestors’ souls and blessings to the family. 

Special Notes:

   – Spiritual Attitude: Conduct the ritual with full devotion and faith.

   – Purity: Maintain purity throughout the ritual and worship.

   – Guidance from a Guru: If possible, seek guidance from a qualified guru or tantric. Alternatively, Kashi Puram will arrange for a qualified guru to assist with the ritual.

   – Material Arrangement by Kashi Puram: Kashi Puram will provide all ritual materials, with no additional fee. For personal rituals outside Kashi, the practitioner must arrange for the Brahmin priests’ travel, accommodation, and food.

Additional Information:

   – The ritual will be conducted by the learned Brahmins of Kashi Puram.

   – After booking the ritual, the Kashi Puram team will contact you to gather detailed information and, if necessary, connect you with the performing Brahmin priests.

   – The Brahmins will conduct the ritual with all due formalities, and its effectiveness depends on the practitioner’s intent, purpose, and proper use. The brief procedure and benefits provided are meant to address any doubts. Typically, 99 out of 100 individuals experience positive results. The outcome depends on the practitioner’s intention, home conditions, fortune, and destiny. If the intention is not correct or if nature or divine will does not support it, the result may not be achieved. The outcome is in the hands of the divine. We are mere servants of the divine, our duty is to perform the ritual, and the results are in the hands of God. Rituals are meant to assist, but do not rely entirely on them.

Thank you !

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