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गया श्राद्ध अनुष्ठान – 1 दिन (Gaya Shraddha Ritual – 1 Day)

Original price was: ₹19,512.00.Current price is: ₹16,980.00.

वैसे तो पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म के लिए भारत में कई जगहें हैं लेकिन फल्गू नदी के तट पर स्थित गया शहर का अपना विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सर्वपितृ अमावस्या के दिन गया में पिंडदान करने से 108 कुल और 7 पीढ़ियों का उद्धार हो जाता है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। साथ ही पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है इसलिए इस स्थान को मोक्ष स्थली कहा जाता है। पुराणों में बताया गया है कि प्राचीन शहर गया में भगवान विष्णु स्वयं पितृदेव के रूप में निवास करते हैं। गया में श्राद्ध कर्म, तर्पण विधि और पिंडदान करने के बाद कुछ भी शेष नहीं रह जाता है और यहां से व्यक्ति पितृऋण से मुक्त हो जाता है। गया का महत्व इसी से पता चलता है कि फल्गू नदी के तट पर भगवान राम और माता सीता ने राजा दशरथ की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए यहीं पर श्राद्ध कर्म और पिंडदान किया था।

 

While there are many places in India for performing Pind Daan, Tarpan, and Shraddh ceremonies, the city of Gaya, located on the banks of the Falgu River, holds special significance. According to religious beliefs, performing Pind Daan in Gaya on the day of Sarvapitra Amavasya is said to redeem 108 ancestors and seven generations, bringing peace to the souls of the departed and granting them liberation. Thus, this place is referred to as a site of liberation (Moksha Sthali). According to the Puranas, Lord Vishnu himself resides in Gaya in the form of Pitradev. After performing Shraddh rites, Tarpan, and Pind Daan in Gaya, nothing remains to be done, and one is freed from ancestral debts. The significance of Gaya is evident from the fact that Lord Ram and Mata Sita performed Shraddh and Pind Daan here for the peace and liberation of King Dasharath’s soul.

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Detailed Information in Hindi : 

गया श्राद्ध अनुष्ठान की विधि निम्नलिखित चरणों में की जाती है:

  1. स्नान और शुद्धि: 

अनुष्ठान के दिन, व्यक्ति को प्रात: उठकर स्नान करना चाहिए और शुद्ध वस्त्र पहनने चाहिए। 

  1. व्रत और संकल्प:

अनुष्ठान की शुरुआत में व्रत और संकल्प लेना आवश्यक है। यह संकल्प पितरों को समर्पित होता है और अनुष्ठान के उद्देश्यों को ध्यान में रखकर लिया जाता है।

  1. पिंडदान सामग्री की तैयारी:

पिंडदान के लिए विशेष सामग्री जैसे तिल, चिउड़े, चावल, काले तिल, और गंगा जल की आवश्यकता होती है। इन्हें एकत्रित कर लें।

  1. गया के पवित्र स्थल पर पहुँचना:

गया में पिंडदान करने के लिए फल्गू नदी के तट पर स्थित पवित्र स्थल पर जाना होता है, जहां विशेष रूप से पिंडदान की विधि की जाती है।

  1. पिंडदान की प्रक्रिया:

पिंडदान के दौरान, पिंड (आहार की प्रतीकात्मक बूँदें) तैयार की जाती हैं और इन्हें नदी में अर्पित किया जाता है। यह क्रिया पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष प्रदान करने के लिए की जाती है।

  1. तर्पण:

तर्पण विधि के अंतर्गत, पितरों के प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करने के लिए जल, तिल, और अन्य सामग्री अर्पित की जाती है। यह क्रिया पितरों के प्रति श्रद्धा और समर्पण को दर्शाती है।

  1. भोजन और दान:

पिंडदान और तर्पण के बाद, ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है और दान का वितरण किया जाता है। यह दान पितरों की आत्मा की शांति और संतोष के लिए होता है।

  1. आभार और समापन:

अनुष्ठान के समापन पर, सभी कर्मों और विधियों के पूर्ण होने के बाद, आभार व्यक्त किया जाता है और धन्यवाद दिया जाता है।

इस विधि के माध्यम से, व्यक्ति पितृऋण से मुक्ति प्राप्त करता है और पूर्वजों की आत्मा को शांति और मोक्ष प्राप्त होता है।

विशेष ध्यान दें:

– आध्यात्मिक भावना: अनुष्ठान को पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ करें।

– शुद्धता: पूजा और अनुष्ठान के दौरान शुद्धता बनाए रखें।

– गुरु का मार्गदर्शन: यदि संभव हो, तो किसी योग्य गुरु या तांत्रिक से मार्गदर्शन प्राप्त करें। अथवा काशीपुरम के माध्यम से इस अनुष्ठान को कराने पर आपको योग्य गुरु का सानिध्य प्रदान कराया जाएगा। 

– काशीपुरम द्वारा अनुष्ठान कराये जाने पर अनुष्ठान सामग्री की व्यवस्था काशीपुरम ही करता है जिसके लिए अलग से किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है। 

– काशी से बाहर व्यक्तिगत रूप से यह अनुष्ठान कराने पर ब्राह्मण पुरोहितों के आने जाने और रहने खाने की व्यवस्था यजमान को अलग से करनी पड़ेगी। 

अतिरिक्त जानकारियां : 

– यह अनुष्ठान काशीपुरम के विद्वान् ब्राह्मणों द्वारा आयोजित कराया जाएगा । 

– अनुष्ठान बुक करने के बाद काशीपुरम की टीम आपसे संपर्क करके विस्तृत जानकारी इकठ्ठा करेगी और आवयश्यकता पड़ने पर अनुष्ठान को आयोजित कराने वाले ब्राह्मण पुरोहित से भी बात कराया जाएगा। 

– काशीपुरम के विद्वान् ब्राह्मण पुरोहितों द्वारा अनुष्ठान को पूरे विधि विधान से आयोजित कराया जाता है , इसका परिणाम व्यक्ति की भावना, उद्देश्य एवं सदुपयोग पर निर्भर करता है । अनुष्ठान की संक्षिप्त विधि इसके लाभ और संक्षिप्त जानाक्रियां ऊपर दी हुई हैं जिससे अनुष्ठान कराने वाले भक्त के मन में कोई संशय न रहे। 100 में से 99 लोगों को इसका अच्छा परिणाम मिलता है। व्यक्ति किस उद्देश्य या भावना के साथ इस अनुष्ठान को कराना चाहता है, यह उसकी नीयत, गृह दशाएं, भाग्य एवं प्रारब्ध पर निर्भर करता है। यदि उद्देश्य या भावना सही नहीं है और प्रकृति या भगवान् की मर्जी किसी काम में नहीं रहती है तो इसका परिणाम नहीं भी मिल पाता है। इसका परिणाम मिलना न मिलना भगवान् के हाथ में है। हम भगवान् के सेवक मात्र हैं, कर्म करना हमारा काम है फल देना ईश्वर के हाथ में है। कोई भी अनुष्ठान आपकी सहायता मात्र के लिए है। पूर्णतः अनुष्ठानों या उपायों के अधीन न रहें, 

धन्यवाद !

Detailed Information in English :

The procedure for performing the Gaya Shraddh Anushthan is as follows:

  1. Bathing and Purification:

On the day of the ritual, one should bathe early in the morning and wear clean clothes.

  1. Vow and Resolve:

Begin the ritual by taking a vow and making a resolve dedicated to the ancestors, reflecting on the purpose of the ritual.

  1. Preparation of Pind Daan Materials:

Gather materials needed for Pind Daan, such as sesame seeds, puffed rice, black sesame, rice, and holy water from the Ganges.

  1. Arrival at the Sacred Site in Gaya:

Go to the sacred site on the banks of the Falgu River in Gaya, where the Pind Daan ceremony is performed.

  1. Pind Daan Process:

Prepare the Pind (symbolic food offerings) and offer them into the river. This act is meant to provide peace and liberation to the ancestors’ souls.

  1. Tarpan:

During Tarpan, offer water, sesame seeds, and other items to express respect and gratitude towards the ancestors. This ritual signifies devotion and reverence.

  1. Feeding and Charity:

After completing the Pind Daan and Tarpan, feed Brahmins and distribute charity. This act of giving is intended to bring peace and satisfaction to the ancestors’ souls.

  1. Acknowledgment and Conclusion:

At the end of the ritual, express gratitude and thanks for the completion of all rites and procedures.

Through this process, individuals seek liberation from ancestral debts and provide peace and salvation to their ancestors’ souls.

Special Notes:

   – Spiritual Attitude: Conduct the ritual with full devotion and faith.

   – Purity: Maintain purity throughout the ritual and worship.

   – Guidance from a Guru: If possible, seek guidance from a qualified guru or tantric. Alternatively, Kashi Puram will arrange for a qualified guru to assist with the ritual.

   – Material Arrangement by Kashi Puram: Kashi Puram will provide all ritual materials, with no additional fee. For personal rituals outside Kashi, the practitioner must arrange for the Brahmin priests’ travel, accommodation, and food.

Additional Information:

   – The ritual will be conducted by the learned Brahmins of Kashi Puram.

   – After booking the ritual, the Kashi Puram team will contact you to gather detailed information and, if necessary, connect you with the performing Brahmin priests.

   – The Brahmins will conduct the ritual with all due formalities, and its effectiveness depends on the practitioner’s intent, purpose, and proper use. The brief procedure and benefits provided are meant to address any doubts. Typically, 99 out of 100 individuals experience positive results. The outcome depends on the practitioner’s intention, home conditions, fortune, and destiny. If the intention is not correct or if nature or divine will does not support it, the result may not be achieved. The outcome is in the hands of the divine. We are mere servants of the divine, our duty is to perform the ritual, and the results are in the hands of God. Rituals are meant to assist, but do not rely entirely on them.

Thank you !

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