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कात्यायनी अनुष्ठान – वैदिक मंत्र जप संख्या 41000 (Katyayani Ritual – Vedic Mantra Chanting Number 41000)

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कात्यायनी अनुष्ठान (कन्या शीघ्र विवाह हेतु)- वैदिक मंत्र जप संख्या – 41000 (Katyayani Ritual – Vedik Mantra Chanting Number (For Girl Early Marriege) – 41000)

कन्या के विवाह में आ रही  समस्याओं का निराकरण करने के लिए माता कात्यायनी का जप सर्वोत्कृष्ट शास्त्रोक्त विधान है। यह परम पुनीत मन्त्र विवाह में हो रहे विलम्ब तथा अन्य किसी भी प्रकार की समस्याओं का निराकरण करता है। माता कात्यायनी का यह मन्त्र श्रीमद्भागवतमहापुराण में प्राप्त होता है| श्रीमद्भागवतमहापुराण के अनुसार भगवान श्री कृष्ण को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए गोपियों ने माता कात्यायनी के इस मन्त्र के द्वारा श्रद्धापूर्वक उपासना किया। 

To resolve issues related to a girl’s marriage, the chanting of the Katyayani mantra is considered the most effective according to scriptures. This highly sacred mantra addresses delays and other problems in the marriage process. The Katyayani mantra is found in the Shreemad Bhagavatam Mahapurana. According to the Shreemad Bhagavatam Mahapurana, the gopis worshipped Goddess Katyayani with this mantra to earnestly seek Lord Krishna as their husband.

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Detailed Information in Hindi :

श्री शुकदेव जी कहते हैं :-

हेमन्त ऋतु के प्रथम महीने में अर्थात् मार्गशीर्ष में व्रजकुमारियां कात्यायनी देवी की पूजा एवं व्रत करने लगीं। वे केवल हविष्यान्न खाती थीं और इस मन्त्र का श्रद्धा पूर्वक जप करतीं।

इस मन्त्र जप के प्रभाव से सुयोग्य वर युवतियों का शीघ्र प्राप्त होता  है। विवाह करवाने हेतु अथवा किसी प्रकार की समस्या या विवाह में विलंब हो रहा है तो इस मन्त्र जप के प्रभाव से समस्याएं नष्ट हो जाती हैं और कन्या को सुयोग्यवर की प्राप्ति होती है ।माता कात्यायनी की पूजा करने से दाम्पत्य जीवन सम्बन्धी  समस्त  बाधाओं का शमन हो जाता है,और साधकों को सुखी वैवाहिक जीवन यापन करने का आशीर्वाद प्राप्त होता है ।

भागवत महापुराण के अनुसार जो युवतियां मनचाहे वर की अभिलाषा रखती हैं उनके लिए माता कात्यायनी की उपासना तथा इस मन्त्र का जप  सर्वोत्कृष्ट फल की प्राप्ति कराता है। इस मन्त्र के प्रभाव से शीघ्र ही सौभाग्य तथा पति प्रेम की प्राप्ति होती है।

पौराणिक कथानुसार:- 

इस चराचर जगत् में तीन सबसे शक्तिशाली देवता ब्रह्मा, विष्णु और शिव, महिषासुर का संहार करने के लिए एकजुट हुए थे। तीनों देवताओं की शक्ति और पराक्रम के संयोजन से एक अग्नि उत्पन्न हुई, जिससे देवी कात्यायनी का जन्म हुआ। वह नारी शक्ति की दिव्य इकाई के रूप में अवतरित हुईं, जिसमें अनन्त सूर्यों की आभा परिलक्षित हो रही थी। उनका एक रूप योद्धा का था, जिनकी तीन आंखें और लंबे काले बाल थे। मां कात्यायनी की 18 भुजाएँ थीं और प्रत्येक भुजाओं में विभिन् अस्त्र शस्त्रों को धारण की हुई थीं। जो युद्ध और विजय का प्रतिनिधित्व करती थीं। उनकी प्रत्येक भुजाओं में क्रमश: त्रिशूल, चक्र, शंख, गदा, तलवार और ढाल, धनुष और बाण, वज्र, गदा और युद्ध-कुल्हाड़ी, माला और गुलाब जल जैसे कई शक्तिशाली शस्त्र थे। माता ने अपने वाहन सिंह पर चढ़कर महिषासुर का संहार करने के लिए उसकी ओर बढ़ी। मां कात्यायनी के डर से महिषासुर भाग खड़ा हुआ और एक मरी हुई भैंस के अंदर छिप गया। लेकिन उसके सभी प्रयास व्यर्थ रहे,वह देवी कात्यायनी के क्रोध से बच नहीं सका और देवी द्वारा उसका संहार किया गया।

क्यों महत्वपूर्ण है कात्यायनी मन्त्र ? 

कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि।

नन्द गोपसुतं देवि पतिं मे कुरु ते नमः।।

इस  दिव्य मन्त्र की देवी माता कात्यायनी हैं। मां कात्यायनी दुर्गा माता का छठा अवतार हैं। बृहस्पति ग्रह पर देवी कात्यायनी का आधिपत्य होने के कारण जो लोग माता-पिता समाज के दबाव अथवा लोक लज्जा के भय से अपने प्रेमी से विवाह नहीं कर पाते हैं उन्हें इस मन्त्र का जप नियमानुसार स्वयं करने अथवा किसी सुयोग्य ब्राह्मण के द्वारा कराने से मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है। शास्त्रोक्त विधि के अनुसार इस जप को करने से उपासकों को सौभाग्य की प्राप्ति होती है,साथ ही विवाह में आ रही समस्त अड़चनों का शमन होता है, शुद्ध तथा पवित्र अन्तःकरण से इस मन्त्र का नियमित जप करने से भक्त को शान्ति और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है ,क्योंकि मन्त्रों मे आध्यात्मिक ऊर्जा समाहित होती है।

विशेष ध्यान दें:

– आध्यात्मिक भावना: अनुष्ठान को पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ करें।

– शुद्धता: पूजा और अनुष्ठान के दौरान शुद्धता बनाए रखें।

– गुरु का मार्गदर्शन: यदि संभव हो, तो किसी योग्य गुरु या तांत्रिक से मार्गदर्शन प्राप्त करें। अथवा काशीपुरम के माध्यम से इस अनुष्ठान को कराने पर आपको योग्य गुरु का सानिध्य प्रदान कराया जाएगा। 

– काशीपुरम द्वारा अनुष्ठान कराये जाने पर अनुष्ठान सामग्री की व्यवस्था काशीपुरम ही करता है जिसके लिए अलग से किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है। 

– काशी से बाहर व्यक्तिगत रूप से यह अनुष्ठान कराने पर ब्राह्मण पुरोहितों के आने जाने और रहने खाने की व्यवस्था यजमान को अलग से करनी पड़ेगी। 

अतिरिक्त जानकारियां : 

– यह अनुष्ठान काशीपुरम के विद्वान् ब्राह्मणों द्वारा आयोजित कराया जाएगा । 

– अनुष्ठान बुक करने के बाद काशीपुरम की टीम आपसे संपर्क करके विस्तृत जानकारी इकठ्ठा करेगी और आवयश्यकता पड़ने पर अनुष्ठान को आयोजित कराने वाले ब्राह्मण पुरोहित से भी बात कराया जाएगा। 

– काशीपुरम के विद्वान् ब्राह्मण पुरोहितों द्वारा अनुष्ठान को पूरे विधि विधान से आयोजित कराया जाता है , इसका परिणाम व्यक्ति की भावना, उद्देश्य एवं सदुपयोग पर निर्भर करता है । अनुष्ठान की संक्षिप्त विधि इसके लाभ और संक्षिप्त जानाक्रियां ऊपर दी हुई हैं जिससे अनुष्ठान कराने वाले भक्त के मन में कोई संशय न रहे। 100 में से 99 लोगों को इसका अच्छा परिणाम मिलता है। व्यक्ति किस उद्देश्य या भावना के साथ इस अनुष्ठान को कराना चाहता है, यह उसकी नीयत, गृह दशाएं, भाग्य एवं प्रारब्ध पर निर्भर करता है। यदि उद्देश्य या भावना सही नहीं है और प्रकृति या भगवान् की मर्जी किसी काम में नहीं रहती है तो इसका परिणाम नहीं भी मिल पाता है। इसका परिणाम मिलना न मिलना भगवान् के हाथ में है। हम भगवान् के सेवक मात्र हैं, कर्म करना हमारा काम है फल देना ईश्वर के हाथ में है। कोई भी अनुष्ठान आपकी सहायता मात्र के लिए है। पूर्णतः अनुष्ठानों या उपायों के अधीन न रहें, 

धन्यवाद !

Detailed Information in English :

Shri Shukadev Ji says :

In the first month of the Hemanta season, which is Margashirsha, the girls of Vraja began worshipping and observing a fast for Goddess Katyayani. They would consume only simple food and chant this mantra with devotion.

The chanting of this mantra helps young women quickly find a suitable groom. For those experiencing delays or problems in marriage, chanting this mantra can eliminate issues and lead to the acquisition of a deserving husband. Worshipping Goddess Katyayani removes all obstacles related to marital life and blesses practitioners with a happy married life.

According to the Bhagavata Purana, women desiring a desired groom find the best results through the worship of Goddess Katyayani and chanting this mantra. The influence of this mantra brings about soon fulfillment of marital happiness and love from a husband.

According to the Mythological Story :

In the world of the moving and unmoving, the three most powerful deities—Brahma, Vishnu, and Shiva—united to destroy the demon Mahishasura. The combination of the powers and valor of these deities generated a fiery entity, which gave birth to Goddess Katyayani. She manifested as a divine embodiment of female power, radiating with the brilliance of countless suns. Her warrior form had three eyes and long black hair. Goddess Katyayani had eighteen arms, each holding different weapons representing warfare and victory. Among her weapons were tridents, chakras, conch shells, maces, swords, shields, bows and arrows, thunderbolts, war-axes, garlands, and rose water. She mounted her vehicle, a lion, and advanced to defeat Mahishasura. Fearing her, Mahishasura fled and hid inside a dead buffalo, but all his efforts were in vain, and he was ultimately slain by Goddess Katyayani.

Why is the Katyayani Mantra Important ? :

The divine mantra is :

Katyayani Mahamaye Mahayoginyadhiishwari |  

Nand Gopasutam Devi Patim Me Kurute Namah ||

Goddess Katyayani, who is the sixth incarnation of Durga, is associated with this divine mantra. As Goddess Katyayani presides over the planet Jupiter (Brihaspati), those unable to marry their beloved due to societal pressure or public shame should chant this mantra themselves or have it chanted by a competent Brahmin. According to scriptures, chanting this mantra brings good fortune, resolves all marital obstacles, and provides peace and positive energy, as mantras contain spiritual power.

Special Notes:

   – Spiritual Attitude: Conduct the ritual with full devotion and faith.

   – Purity: Maintain purity throughout the ritual and worship.

   – Guidance from a Guru: If possible, seek guidance from a qualified guru or tantric. Alternatively, Kashi Puram will arrange for a qualified guru to assist with the ritual.

   – Material Arrangement by Kashi Puram: Kashi Puram will provide all ritual materials, with no additional fee. For personal rituals outside Kashi, the practitioner must arrange for the Brahmin priests’ travel, accommodation, and food.

Additional Information:

   – The ritual will be conducted by the learned Brahmins of Kashi Puram.

   – After booking the ritual, the Kashi Puram team will contact you to gather detailed information and, if necessary, connect you with the performing Brahmin priests.

   – The Brahmins will conduct the ritual with all due formalities, and its effectiveness depends on the practitioner’s intent, purpose, and proper use. The brief procedure and benefits provided are meant to address any doubts. Typically, 99 out of 100 individuals experience positive results. The outcome depends on the practitioner’s intention, home conditions, fortune, and destiny. If the intention is not correct or if nature or divine will does not support it, the result may not be achieved. The outcome is in the hands of the divine. We are mere servants of the divine, our duty is to perform the ritual, and the results are in the hands of God. Rituals are meant to assist, but do not rely entirely on them.

Thank you !

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