Detailed Information in English :
The procedure for performing the Maha Mrityunjaya Anushthan with 51,000 repetitions involves several detailed steps, and it is best conducted with the assistance of an experienced and knowledgeable Brahmin. Here’s a general outline of the method:
- Preparation:
– Preparation: It is recommended to observe a fast or spiritual practice for 3-7 days before the ritual to maintain purity.
– Materials: Gather the necessary items for the ritual: pure water, flowers, fruits, a lamp, incense, pure sandalwood, and a designated worship space or temple.
- Setting and Environment:
– Location: Choose a sacred and clean place for the ritual. It can be performed at any clean and quiet location.
– Setup: Arrange a clean seat, holy water, a calendar (Panchang), clean clothing, and worship materials at the ritual space.
- Worship Procedure:
- Seating and Purity: Sit on a clean seat at the ritual space and purify yourself.
- Ganga Water Bath: Wash your hands and face with Ganga water.
- Light Lamp: Light a lamp and incense to purify the worship space.
- Ganesha Worship: Begin by worshipping Lord Ganesha to ensure the success of the ritual.
- Gayatri Mantra: Recite the Gayatri Mantra to purify the environment.
- Maha Mrityunjaya Japa:
- Mantra: The Maha Mrityunjaya Mantra is:
Om Tryambakam Yajamahe Sugandhim Pushtivardhanam |
Urvarukamiva Bandhanan Mrityor Mukshiya Mamritat ||
- Japa Procedure:
– Perform a fixed number of repetitions each day (e.g., 1,000).
– The recitation can be done by one or more Brahmins according to the practice.
– Monitor the progress of the mantra count and completion.
- Offering and Donations:
– Offering: At the end of the ritual, offer special worship to Lord Shiva.
– Donations: Conclude by offering food and donations (dakshina) to the Brahmins.
- Completion and Worship:
– Aarti and Prasad: Perform the Aarti for Lord Shiva and offer Prasad.
– Completion: At the end of the ritual, sprinkle holy water and give blessings to all present.
For accuracy and proper conduct, it is advisable to seek the guidance of a qualified Brahmin. They can ensure the ritual is performed according to the correct procedures and assist you throughout the process.
Benefits of Maha Mrityunjaya Japa :
- Health and Longevity: The Maha Mrityunjaya Japa, through the blessings of Lord Shiva, bestows health and long life.
- Spiritual Peace: This mantra provides spiritual peace and satisfaction, helping devotees move towards happiness and prosperity in their lives.
- Relief from the Fear of Death: The Maha Mrityunjaya Japa helps dispel the fear of death and provides courage and confidence to face life’s difficulties.
- Fruits of Actions: Through this japa, devotees receive the fruits of their actions and are assisted in progressing towards success in life.
- Elevation of the Soul: This japa leads to the elevation of the soul and offers an experience of unity with one’s higher self.
The Maha Mrityunjaya Japa aids devotees in achieving health, happiness, and joy, and helps in alleviating the fear of death.
Special Notes:
– Spiritual Attitude: Conduct the ritual with full devotion and faith.
– Purity: Maintain purity throughout the ritual and worship.
– Guidance from a Guru: If possible, seek guidance from a qualified guru or tantric. Alternatively, Kashi Puram will arrange for a qualified guru to assist with the ritual.
– Material Arrangement by Kashi Puram: Kashi Puram will provide all ritual materials, with no additional fee. For personal rituals outside Kashi, the practitioner must arrange for the Brahmin priests’ travel, accommodation, and food.
Additional Information:
– The ritual will be conducted by the learned Brahmins of Kashi Puram.
– After booking the ritual, the Kashi Puram team will contact you to gather detailed information and, if necessary, connect you with the performing Brahmin priests.
– The Brahmins will conduct the ritual with all due formalities, and its effectiveness depends on the practitioner’s intent, purpose, and proper use. The brief procedure and benefits provided are meant to address any doubts. Typically, 99 out of 100 individuals experience positive results. The outcome depends on the practitioner’s intention, home conditions, fortune, and destiny. If the intention is not correct or if nature or divine will does not support it, the result may not be achieved. The outcome is in the hands of the divine. We are mere servants of the divine, our duty is to perform the ritual, and the results are in the hands of God. Rituals are meant to assist, but do not rely entirely on them.
Thank you !
Detailed Information in Hindi :
महामृत्युंजय अनुष्ठान के 51,000 जप करने की विधि और विधान को समझना एक विस्तृत प्रक्रिया है, जो पूर्ण श्रद्धा और सही पद्धति के साथ की जानी चाहिए। यहाँ एक सामान्य विधि विधान दिया गया है, लेकिन यह सुझाव है कि आप इस अनुष्ठान को एक अनुभवी और योग्य ब्राह्मण से ही कराएँ:
- सिद्धि और तैयारी:
– तैयारी: अनुष्ठान के पहले, पवित्रता बनाए रखने के लिए 3-7 दिनों का व्रत या उपवास रखना अच्छा रहता है।
– संग्रह: अनुष्ठान के लिए आवश्यक सामग्री एकत्र करें: शुद्ध जल, पुष्प, फल, दीपक, धूप, शुद्ध चंदन, एक पूजन स्थल या मंदिर।
- स्थल और वातावरण:
– स्थल: अनुष्ठान के लिए एक पवित्र स्थान चुनें। इसे किसी भी स्वच्छ और शांत स्थान पर किया जा सकता है।
– संसाधन: पूजा स्थल पर एक स्वच्छ आसन, गंगाजल, पंचांग, शुद्ध वस्त्र और पूजा की सामग्री रखें।
- पूजन विधि:
- आसन और शुद्धता: पूजा स्थल पर स्वच्छ आसन पर बैठें और खुद को शुद्ध करें।
- गंगाजल स्नान: हाथ और मुँह धोकर गंगाजल छिड़कें।
- दीप प्रज्वलन: दीपक और धूप जलाकर पूजा स्थल को शुद्ध करें।
- गणेश पूजन: सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा करें ताकि पूजा के सभी कार्य सिद्ध हो सकें।
- गायत्री मंत्र: गायत्री मंत्र का जाप करके वातावरण को शुद्ध करें।
- महामृत्युंजय जाप:
- मंत्र: महामृत्युंजय मंत्र है:
ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ||
- जाप प्रक्रिया:
– प्रतिदिन एक निश्चित संख्या (उदाहरण के लिए 1,000) जाप करें।
– जाप को साधना के अनुसार एक या अधिक ब्राह्मणों के माध्यम से किया जा सकता है।
– जाप के बीच में मंत्र की पूर्णता की स्थिति और संख्या की निगरानी करें।
- अर्चना और दान:
– अर्चना: अनुष्ठान के अंत में भगवान शिव की विशेष अर्चना करें।
– दान: अंत में ब्राह्मणों को भोजन और दक्षिणा का दान करें।
- समापन और पूजन:
– आरती और भोग: भगवान शिव की आरती करें और भोग अर्पित करें।
– समापन: अनुष्ठान के समापन पर पवित्र जल का छिड़काव करें और सभी को आशीर्वाद दें।
इस प्रक्रिया को सही और विधिपूर्वक करने के लिए एक योग्य ब्राह्मण की सहायता लेना आदर्श होता है। ब्राह्मण आपके द्वारा निर्धारित संख्या के जाप को सही तरीके से संपन्न करवा सकते हैं और आपको इस प्रक्रिया में मदद कर सकते हैं।
महामृत्युंजय जाप अनुष्ठान के लाभ:
- स्वास्थ्य और दीर्घायु: महामृत्युंजय जाप भगवान शिव की कृपा से स्वास्थ्य और दीर्घायु प्रदान करता है।
- आत्मिक शांति: इस जाप से, भक्त को आत्मिक शांति और संतुष्टि मिलती है, जो उसे जीवन में सुख और समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करती है।
- मृत्यु के भय का निवारण: महामृत्युंजय जाप भक्त को मृत्यु के भय को दूर करता है और उसे जीवन की हर कठिनाई का सामना करने के लिए साहस और आत्मविश्वास प्रदान करता है।
- कर्मफल की प्राप्ति: महामृत्युंजय जाप से, भक्त को कर्मफल की प्राप्ति होती है और उसे जीवन में सफलता की दिशा में आगे बढ़ने में मदद मिलती है।
- आत्मा के ऊंचाई की प्राप्ति: इस जाप से, भक्त को आत्मा के ऊंचाई की प्राप्ति होती है और उसे आत्मा के साथ एकीकृत होने का अनुभव होता है।
महामृत्युंजय जाप भक्त को आरोग्य, सुख, और आनंद की प्राप्ति में मदद करता है और उसे मृत्यु के भय को दूर करने में सहायक होता है।
विशेष ध्यान दें:
– आध्यात्मिक भावना: अनुष्ठान को पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ करें।
– शुद्धता: पूजा और अनुष्ठान के दौरान शुद्धता बनाए रखें।
– गुरु का मार्गदर्शन: यदि संभव हो, तो किसी योग्य गुरु या तांत्रिक से मार्गदर्शन प्राप्त करें। अथवा काशीपुरम के माध्यम से इस अनुष्ठान को कराने पर आपको योग्य गुरु का सानिध्य प्रदान कराया जाएगा।
– काशीपुरम द्वारा अनुष्ठान कराये जाने पर अनुष्ठान सामग्री की व्यवस्था काशीपुरम ही करता है जिसके लिए अलग से किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है।
– काशी से बाहर व्यक्तिगत रूप से यह अनुष्ठान कराने पर ब्राह्मण पुरोहितों के आने जाने और रहने खाने की व्यवस्था यजमान को अलग से करनी पड़ेगी।
अतिरिक्त जानकारियां :
– यह अनुष्ठान काशीपुरम के विद्वान् ब्राह्मणों द्वारा आयोजित कराया जाएगा ।
– अनुष्ठान बुक करने के बाद काशीपुरम की टीम आपसे संपर्क करके विस्तृत जानकारी इकठ्ठा करेगी और आवयश्यकता पड़ने पर अनुष्ठान को आयोजित कराने वाले ब्राह्मण पुरोहित से भी बात कराया जाएगा।
– काशीपुरम के विद्वान् ब्राह्मण पुरोहितों द्वारा अनुष्ठान को पूरे विधि विधान से आयोजित कराया जाता है , इसका परिणाम व्यक्ति की भावना, उद्देश्य एवं सदुपयोग पर निर्भर करता है । अनुष्ठान की संक्षिप्त विधि इसके लाभ और संक्षिप्त जानाक्रियां ऊपर दी हुई हैं जिससे अनुष्ठान कराने वाले भक्त के मन में कोई संशय न रहे। 100 में से 99 लोगों को इसका अच्छा परिणाम मिलता है। व्यक्ति किस उद्देश्य या भावना के साथ इस अनुष्ठान को कराना चाहता है, यह उसकी नीयत, गृह दशाएं, भाग्य एवं प्रारब्ध पर निर्भर करता है। यदि उद्देश्य या भावना सही नहीं है और प्रकृति या भगवान् की मर्जी किसी काम में नहीं रहती है तो इसका परिणाम नहीं भी मिल पाता है। इसका परिणाम मिलना न मिलना भगवान् के हाथ में है। हम भगवान् के सेवक मात्र हैं, कर्म करना हमारा काम है फल देना ईश्वर के हाथ में है। कोई भी अनुष्ठान आपकी सहायता मात्र के लिए है। पूर्णतः अनुष्ठानों या उपायों के अधीन न रहें,
धन्यवाद !