इस अनुष्ठान में प्रमुख रूप से निम्नलिखित क्रियाएँ की जाती हैं:
1. पिंडदान: पूर्वजों के लिए पिंड (खिचड़ी या आहार की प्रतीकात्मक बूँदें) तैयार की जाती हैं और उन्हें तर्पण के रूप में अर्पित किया जाता है।
2. तर्पण: पितरों को सम्मान और आभार व्यक्त करने के लिए जल, तिल, और अन्य सामग्री अर्पित की जाती है।
3. ब्राह्मणों को भोजन और दान: ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है और दान दिया जाता है, जो पितरों की आत्मा की शांति के लिए होता है।
4. धार्मिक अनुष्ठान: विशेष मंत्र और प्रार्थनाएँ की जाती हैं, जिससे पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष प्राप्त हो सके।
पार्वण श्राद्ध अनुष्ठान पितृ ऋण से मुक्ति पाने, पूर्वजों को सम्मान देने और परिवार के सदस्यों के लिए सुख-शांति की कामना के लिए किया जाता है।
पार्वण श्राद्ध अनुष्ठान निम्नलिखित विशेष समयों और अवसरों पर कराया जाता है:
1. पितृपक्ष (श्राद्ध पक्ष):
पितृपक्ष (श्राद्ध पक्ष) के दौरान, विशेष रूप से पितृ अमावस्या (मासिक अमावस्या) के दिन पार्वण श्राद्ध अनुष्ठान किया जाता है। यह अवधि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होती है और आश्वयुज शुक्ल पक्ष की अमावस्या तक चलती है। इस समय पूर्वजों की आत्मा की शांति और तर्पण के लिए विशेष पूजा की जाती है।
2. पार्वण तिथि (विशेष तिथियाँ:
कुछ विशेष अवसरों पर जैसे पार्वण (विशेष धार्मिक उत्सव) के दिन भी पार्वण श्राद्ध किया जा सकता है। यह तिथि व्रत और उत्सव की परंपराओं के अनुसार निर्धारित की जाती है।
3. मृत्यु तिथि (वर्षगांठ):
जब किसी व्यक्ति की मृत्यु की वर्षगांठ (तिथि) आती है, तो उसी दिन भी पार्वण श्राद्ध अनुष्ठान किया जाता है। यह दिन मृतक की आत्मा को शांति और मोक्ष प्राप्त करने के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।
4. अन्य धार्मिक अवसर:
कुछ परिवार विशेष धार्मिक अवसरों या पर्वों पर भी पार्वण श्राद्ध करते हैं, जैसे माघ मास में विशेष अवसर पर।
इन अवसरों पर पार्वण श्राद्ध अनुष्ठान करने से पूर्वजों को सम्मान दिया जाता है और पितृ ऋण से मुक्ति प्राप्त करने की कामना की जाती है।
Detailed Information in English :
The Parvan Shraddh Anushthan primarily involves the following rituals:
1. Pind Daan: Symbolic food offerings (pind, like khichdi or rice balls) are prepared and offered as a form of Tarpan (ritualistic oblation) for the ancestors.
2. Tarpan: Water, sesame seeds, and other materials are offered to express respect and gratitude to the ancestors.
3. Feeding and Charity to Brahmins: Brahmins are provided with a meal and charity, which is intended to bring peace to the souls of the ancestors.
4. Religious Rituals: Special mantras and prayers are recited to ensure peace and liberation for the ancestors’ souls.
The Parvan Shraddh Anushthan is performed to seek liberation from ancestral debts, honor the ancestors, and wish for happiness and peace for family members.
The Parvan Shraddh Anushthan is conducted at the following special times and occasions:
1. Pitru Paksha (Shraddh Paksha):
During Pitru Paksha (also known as Shraddh Paksha), particularly on **Pitru Amavasya** (monthly new moon day), Parvan Shraddh Anushthan is performed. This period starts from the full moon day of Bhadrapada Shukla Paksha and lasts until the new moon day of Ashwayuja Shukla Paksha. During this time, special rituals are performed for the peace and Tarpan of the ancestors’ souls.
2. Parvan Tithi (Special Dates):
On specific occasions, such as Parvan (special religious festivals), Parvan Shraddh may also be performed. The dates for these rituals are determined according to fasting and festival traditions.
3. Death Anniversary (Varsganth):
On the anniversary of an individual’s death, Parvan Shraddh Anushthan is conducted. This day is particularly important for bringing peace and liberation to the deceased’s soul.
4. Other Religious Occasions:
Some families perform Parvan Shraddh on other special religious occasions or festivals, such as during Magh Mas.
Performing the Parvan Shraddh Anushthan on these occasions honors the ancestors and seeks liberation from ancestral debts.