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रुद्राभिषेक लघु रूद्र – 11 ब्राह्मण (Rudrabhishek Laghu Rudra – 11 Brahmin)

Original price was: ₹39,675.00.Current price is: ₹34,500.00.

रुद्राभिषेक और लघु रुद्र दोनों ही शिव की पूजा के महत्वपूर्ण रूप हैं। रुद्राभिषेक में शिव के प्रति विशेष पूजा और अभिषेक किया जाता है, जिसमें विशेष मंत्र और विधियाँ होती हैं। लघु रुद्र, जिसे “उप-रुद्र” भी कहा जाता है, एक संक्षिप्त और सरल रूप होता है, जिसमें विशेष रूप से रुद्राष्टाध्यायी के छोटे अंश का पाठ किया जाता है। यह पूजा सरल लेकिन प्रभावी होती है और सामान्यतः नियमित पूजा या विशेष अवसरों पर की जाती है।

काशी क्षेत्र में रुद्राभिषेक कराने का अर्थ होता है कि आपने महादेव का साक्षात अभिषेक कर दिया ।  काशी क्षेत्र स्थित शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती की बाल्यस्थली एवं तपोस्थली बिछुड़न नाथ महादेव धाम एवं गोमती एवं गंगा के संगम तट पर स्थित मारकण्डेय ॠषि की तपोस्थली मारकण्डेय महादेव धाम पर रुद्राभिषेक कराने पर आश्चर्यजनक रूप से  मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं । हलांकि यह संयोग महादेव की कृपा से ही संभव हो पाता है, लेकिन काशीपुरम इस संयोग को वास्तविकता में परिवर्तित करने हेतु सदैव तत्पर रहता है ।

Rudrabhishek and Laghurudra are both important forms of worship of Shiva. In Rudrabhishek, a special worship and anointing of Shiva are performed using specific mantras and rituals. Laghurudra, also known as “Upa-Rudra,” is a shorter and simpler form where a small portion of the Rudrashtadhyayi is recited. This form of worship is simple yet effective and is typically performed during regular worship or special occasions.

In the Kashi region, performing Rudrabhishek is considered equivalent to directly worshipping Lord Mahadev. The childhood and meditation site of Shankaracharya Swami Swaroopanand Saraswati, the revered Bichhudhan Nath Mahadev Dham, and the confluence of the Gomti and Ganga rivers, where the sage Markandeya performed his penance, are all places where performing Rudrabhishek yields remarkably desired results. Although such outcomes are ultimately due to Lord Mahadev’s grace, Kashi Puram is always dedicated to turning this opportunity into reality.

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Detailed Information in Hindi :

11 ब्राह्मणों द्वारा रुद्राभिषेक लघु रुद्र कराने का उद्देश्य विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करना होता है। ऐसा माना जाता है कि जब 11 ब्राह्मण मिलकर रुद्राभिषेक करते हैं, तो यह पूजा विशेष प्रभावी और फलदायी होती है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं:

  1. धार्मिक मान्यता : हिंदू धार्मिक ग्रंथों और परंपराओं के अनुसार, 11 ब्राह्मणों द्वारा रुद्राभिषेक करने से पूजा की शक्ति और प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। 
  1. सामूहिक शक्ति  : 11 ब्राह्मणों की सामूहिक पूजा से उत्पन्न ऊर्जा और शुभकामनाएँ अधिक प्रभावी मानी जाती हैं, जो पूजा के परिणाम को बेहतर बनाती हैं।
  1. पारंपरिक महत्व : यह भी मान्यता है कि 11 ब्राह्मणों द्वारा की गई पूजा से विशेष प्रकार की आध्यात्मिक ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो भक्त की समृद्धि और सुख-शांति में योगदान करती है।

इस प्रकार, 11 ब्राह्मणों द्वारा रुद्राभिषेक लघु रुद्र का आयोजन करने से पूजा का महत्व और प्रभाव अधिक बढ़ जाता है, और यह भक्त की इच्छाओं की पूर्ति और पापों के नाश के लिए उपयोगी माना जाता है।

11 ब्राह्मणों द्वारा रुद्राभिषेक लघु रुद्र आयोजित करने की विधि, उद्देश्य और विशेष लाभ निम्नलिखित हैं:

विधि (Procedure):

  1. तैयारी : पूजा स्थल को शुद्ध करके, वहां एक विशेष पंडाल या मंडप सजाया जाता है। शिवलिंग और पूजा सामग्री को भी साफ किया जाता है।
  1. ब्राह्मणों की उपस्थिति : 11 ब्राह्मणों को आमंत्रित किया जाता है, जो पूजा की विधि को ठीक से जानने और पालन करने में सक्षम होते हैं।
  1. पूजा की शुरुआत : पूजा की शुरुआत गणेश पूजन और पंचांग शुद्धि से की जाती है। इसके बाद, 11 ब्राह्मण एक साथ मिलकर शिवलिंग पर जल, दूध, शहद, घी आदि से अभिषेक करते हैं।
  1. मंत्रों का उच्चारण : विशेष रूप से, रुद्राष्टाध्यायी और अन्य संबंधित मंत्रों का उच्चारण किया जाता है।
  1. अर्पण और समर्पण : पूजा के बाद, वस्त्र, पुष्प, और नैवेद्य (प्रसाद) अर्पित किए जाते हैं। 
  1. अखिरी आशीर्वाद : पूजा के अंत में, सभी ब्राह्मणों द्वारा आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है और पूजा सम्पन्न होती है।

उद्देश्य (Purpose):

  1. आध्यात्मिक लाभ : इस पूजा से भक्त को शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  1. पाप नाश : यह पूजा पापों के नाश और शांति के लिए की जाती है। 
  1. सुख-समृद्धि : यह पूजा जीवन में सुख-समृद्धि और शांति लाने के लिए की जाती है।
  1. विघ्नों का नाश : व्यक्तिगत और पारिवारिक विघ्नों को दूर करने के लिए इस पूजा का आयोजन किया जाता है।

विशेष लाभ (Special Benefits) :

  1. शिव की विशेष कृपा : 11 ब्राह्मणों द्वारा की गई पूजा से शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे भक्त की इच्छाएँ पूरी होती हैं।
  1. अधिक प्रभावी : सामूहिक रूप से किए गए रुद्राभिषेक से पूजा का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।
  1. धार्मिक और आध्यात्मिक ऊर्जा : यह पूजा शक्ति और ऊर्जा से भरपूर होती है, जिससे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन होते हैं।
  1. पारिवारिक समृद्धि : यह पूजा परिवार में समृद्धि और शांति लाने में मदद करती है।

इस प्रकार, 11 ब्राह्मणों द्वारा रुद्राभिषेक लघु रुद्र आयोजित करने से भक्त को अत्यधिक आध्यात्मिक लाभ और शुभ फल प्राप्त होते हैं।

विशेष ध्यान दें:

– आध्यात्मिक भावना: अनुष्ठान को पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ करें।

– शुद्धता: पूजा और अनुष्ठान के दौरान शुद्धता बनाए रखें।

– गुरु का मार्गदर्शन: यदि संभव हो, तो किसी योग्य गुरु या तांत्रिक से मार्गदर्शन प्राप्त करें। अथवा काशीपुरम के माध्यम से इस अनुष्ठान को कराने पर आपको योग्य गुरु का सानिध्य प्रदान कराया जाएगा। 

– काशीपुरम द्वारा अनुष्ठान कराये जाने पर अनुष्ठान सामग्री की व्यवस्था काशीपुरम ही करता है जिसके लिए अलग से किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है। 

– काशी से बाहर व्यक्तिगत रूप से यह अनुष्ठान कराने पर ब्राह्मण पुरोहितों के आने जाने और रहने खाने की व्यवस्था यजमान को अलग से करनी पड़ेगी। 

अतिरिक्त जानकारियां : 

– यह अनुष्ठान काशीपुरम के विद्वान् ब्राह्मणों द्वारा आयोजित कराया जाएगा । 

– अनुष्ठान बुक करने के बाद काशीपुरम की टीम आपसे संपर्क करके विस्तृत जानकारी इकठ्ठा करेगी और आवयश्यकता पड़ने पर अनुष्ठान को आयोजित कराने वाले ब्राह्मण पुरोहित से भी बात कराया जाएगा। 

– काशीपुरम के विद्वान् ब्राह्मण पुरोहितों द्वारा अनुष्ठान को पूरे विधि विधान से आयोजित कराया जाता है , इसका परिणाम व्यक्ति की भावना, उद्देश्य एवं सदुपयोग पर निर्भर करता है । अनुष्ठान की संक्षिप्त विधि इसके लाभ और संक्षिप्त जानाक्रियां ऊपर दी हुई हैं जिससे अनुष्ठान कराने वाले भक्त के मन में कोई संशय न रहे। 100 में से 99 लोगों को इसका अच्छा परिणाम मिलता है। व्यक्ति किस उद्देश्य या भावना के साथ इस अनुष्ठान को कराना चाहता है, यह उसकी नीयत, गृह दशाएं, भाग्य एवं प्रारब्ध पर निर्भर करता है। यदि उद्देश्य या भावना सही नहीं है और प्रकृति या भगवान् की मर्जी किसी काम में नहीं रहती है तो इसका परिणाम नहीं भी मिल पाता है। इसका परिणाम मिलना न मिलना भगवान् के हाथ में है। हम भगवान् के सेवक मात्र हैं, कर्म करना हमारा काम है फल देना ईश्वर के हाथ में है। कोई भी अनुष्ठान आपकी सहायता मात्र के लिए है। पूर्णतः अनुष्ठानों या उपायों के अधीन न रहें, 

धन्यवाद !

Detailed Information in English :

The ritual of performing a Rudrabhishek with the “Laghurudra” by 11 Brahmins is believed to be particularly powerful and beneficial for several reasons:

  1. Religious Significance : According to Hindu traditions and texts, having 11 Brahmins conduct the Rudrabhishek enhances the effectiveness and impact of the ritual.
  1. Collective Energy : The combined energy and blessings from 11 Brahmins are considered to be more potent, resulting in a more powerful and beneficial ceremony.
  1. Traditional Importance : It is believed that the collective ritual by 11 Brahmins generates significant spiritual energy, aiding in the devotee’s prosperity and peace.

Thus, this specific practice is thought to offer enhanced spiritual benefits and fulfillment of desires.

Method, Purpose, and Special Benefits of Performing Laghurudra with 11 Brahmins:

Method:

  1. Preparation : Clean and decorate the worship area, including the Shiva lingam and worship materials.
  1. Presence of Brahmins : Invite 11 Brahmins who are well-versed in the rituals and can perform the ceremony correctly.
  1. Commencement of Worship : Begin with Ganesh Puja and Panchang Shuddhi (purification of the calendar). Following this, the 11 Brahmins perform anointing (abhishek) of the Shiva lingam with water, milk, honey, ghee, etc.
  1. Recitation of Mantras : Specifically, recite the Rudrashtadhyayi and other relevant mantras.
  1. Offering and Dedication : After the main rituals, offer clothes, flowers, and naivedya (food offerings). 
  1. Final Blessings : Conclude with blessings from all Brahmins and complete the ritual.

Purpose:

  1. Spiritual Benefit : To receive Shiva’s special grace and attain spiritual upliftment.
  1. Removal of Sins : To cleanse oneself of sins and bring about peace.
  1. Prosperity and Peace : To bring prosperity and tranquility to one’s life.
  1. Elimination of Obstacles : To remove personal and family obstacles.

Special Benefits:

  1. Special Grace from Shiva : Receiving Shiva’s special blessings, which help in fulfilling desires.
  1. Enhanced Effectiveness : The collective performance by 11 Brahmins amplifies the impact of the ritual.
  1. Spiritual and Religious Energy : The ritual is rich in spiritual energy, leading to positive changes in life.
  1. Family Prosperity : Helps in bringing prosperity and peace to the family.

Overall, performing Laghurudra with 11 Brahmins provides significant spiritual benefits and favorable results.

Special Notes:

   – Spiritual Attitude: Conduct the ritual with full devotion and faith.

   – Purity: Maintain purity throughout the ritual and worship.

   – Guidance from a Guru: If possible, seek guidance from a qualified guru or tantric. Alternatively, Kashi Puram will arrange for a qualified guru to assist with the ritual.

   – Material Arrangement by Kashi Puram: Kashi Puram will provide all ritual materials, with no additional fee. For personal rituals outside Kashi, the practitioner must arrange for the Brahmin priests’ travel, accommodation, and food.

Additional Information:

   – The ritual will be conducted by the learned Brahmins of Kashi Puram.

   – After booking the ritual, the Kashi Puram team will contact you to gather detailed information and, if necessary, connect you with the performing Brahmin priests.

   – The Brahmins will conduct the ritual with all due formalities, and its effectiveness depends on the practitioner’s intent, purpose, and proper use. The brief procedure and benefits provided are meant to address any doubts. Typically, 99 out of 100 individuals experience positive results. The outcome depends on the practitioner’s intention, home conditions, fortune, and destiny. If the intention is not correct or if nature or divine will does not support it, the result may not be achieved. The outcome is in the hands of the divine. We are mere servants of the divine, our duty is to perform the ritual, and the results are in the hands of God. Rituals are meant to assist, but do not rely entirely on them.

Thank you !

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