Detailed Information in English :
Hanuman Ji’s Tantric Ritual: Procedure and Process
- Preparation and Location Selection:
– Location: Choose a sacred and tranquil place for the ritual, such as a temple or a dedicated prayer area. This location should be sanctified by the Brahmin priests.
– Timing: Select an appropriate time for the tantric ritual, such as Tuesday or Saturday, which are considered auspicious days for worshipping Hanuman Ji.
- Ritual Materials:
– Hanuman Ji’s Idol or Image
– Kalash and its Accompaniments: Water, mango leaves, coconut
– Diya and Incense Sticks
– Chandan, Sindoor, Flowers
– Naivedya (Offering): Laddus, barfis, fruits
– Tantric Instruments: Hanuman Yantra or other tantric instruments
– Books: Hanuman Chalisa, Sundarkand, Tantra-mantra texts
- Ritual Procedure:
- Location and Attire:
– Clean the ritual space and wear sacred attire.
- Kalash Installation:
– Place the kalash at a designated spot. Fill the kalash with water, add mango leaves and a coconut. Sanctify
the kalash with mantras and perform its worship.
- Worship of Hanuman Ji:
– Bathe the idol or image of Hanuman Ji and dress it appropriately.
– Offer chandan, sindoor, and flowers.
- Tantric Instrument Installation:
– Set up the Hanuman Yantra at the ritual site. Perform an anointing of the yantra with sacred water and
flowers.
- Mantra Chanting and Practice:
– The Brahmin priests will chant specific mantras for Hanuman Ji, such as “Om Hanumate Namah,” “Om Shri
Hanumate Namah,” or other tantric mantras.
– Use a japa mala (prayer beads) for mantra recitation.
- Offering and Naivedya:
– Offer naivedya to Hanuman Ji, including special items like laddus, barfis, and fruits.
- Aarti and Worship:
– Perform aarti for Hanuman Ji. Rotate the lamp in all directions and offer prayers after the ritual.
- Practice and Meditation:
– Conclude the ritual with meditation and reflection. Seek blessings from Hanuman Ji and pray for his grace.
- Post-Ritual:
– Distribution of Prasad: Distribute the prasad from the ritual to the devotees, allowing everyone to experience its sanctity.
– Offering Thanks: Express gratitude to Hanuman Ji and the Brahmin priests.
– Meditation and Peace: Experience meditation and peace after the ritual.
Special Notes:
– Spiritual Attitude: Conduct the ritual with full devotion and faith.
– Purity: Maintain purity throughout the ritual and worship.
– Guidance from a Guru: If possible, seek guidance from a qualified guru or tantric. Alternatively, Kashi Puram will arrange for a qualified guru to assist with the ritual.
– Material Arrangement by Kashi Puram: Kashi Puram will provide all ritual materials, with no additional fee. For personal rituals outside Kashi, the practitioner must arrange for the Brahmin priests’ travel, accommodation, and food.
Additional Information :
– The ritual will be conducted by the learned Brahmins of Kashi Puram.
– After booking the ritual, the Kashi Puram team will contact you to gather detailed information and, if necessary, connect you with the performing Brahmin priests.
– The Brahmins will conduct the ritual with all due formalities, and its effectiveness depends on the practitioner’s intent, purpose, and proper use. The brief procedure and benefits provided are meant to address any doubts. Typically, 99 out of 100 individuals experience positive results. The outcome depends on the practitioner’s intention, home conditions, fortune, and destiny. If the intention is not correct or if nature or divine will does not support it, the result may not be achieved. The outcome is in the hands of the divine. We are mere servants of the divine, our duty is to perform the ritual, and the results are in the hands of God. Rituals are meant to assist, but do not rely entirely on them.
Thank you !
Detailed Information in Hindi :
ब्राह्मण पुरोहितों द्वारा हनुमान जी का तांत्रिक अनुष्ठान एक विशेष धार्मिक और तांत्रिक प्रक्रिया होती है, जो हनुमान जी की पूजा के लिए ब्राह्मण पुरोहितों द्वारा विधिपूर्वक की जाती है। यह अनुष्ठान साधक की आध्यात्मिक उन्नति, शक्ति और सुरक्षा के लिए किया जाता है। विशेषतः यह अनुष्ठान सर्वरोग निवारण, वशीकरण, उच्चाटन या मारण हेतु आयोजित कराया जाता है । यदि मारण हेतु यजमान का उद्देश्य ब्राह्मण पुरोहित के समझ से परे होगा तो पुरोहित द्वारा मारण उद्देश्य हटा दिया जाएगा। यजमान को विस्तार से बताना होगा कि वह मारण हेतु यह अनुष्ठान क्यों आयोजित कराना चाहता है ?
Detailed Description in Hindi :
हनुमान जी का तंत्रोक्त अनुष्ठान : विधि और प्रक्रिया
- तैयारी और स्थान चयन:
– स्थान का चयन: अनुष्ठान के लिए एक पवित्र और शांति वाले स्थान का चयन करें, जैसे मंदिर या विशेष पूजा स्थल। यह स्थान ब्राह्मण पुरोहितों द्वारा पवित्र किया जाना चाहिए।
– समय का चयन: तांत्रिक अनुष्ठान के लिए उचित समय का चयन करें, जैसे मंगलवार या शनिवार, जो हनुमान जी के पूजन के लिए शुभ दिन होते हैं।
- पूजा की सामग्री:
– हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र
– कलश और उसके साथ सामग्री: जल, आम के पत्ते, नारियल
– दीपक और अगरबत्तियाँ
– चंदन, सिंदूर, फूल
– नैवेद्य (भोग): लड्डू, बर्फी, फल
– तंत्र यंत्र: हनुमान यंत्र या अन्य तांत्रिक यंत्र
– पुस्तकें: हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, तंत्र-मंत्र की किताबें
- अनुष्ठान की विधि:
- स्थान और वस्त्र:
– पूजा स्थल को स्वच्छ करें और पवित्र वस्त्र पहनें।
- कलश स्थापना:
– एक विशेष स्थान पर कलश स्थापित करें। कलश को जल से भरें, आम के पत्ते और नारियल रखें। कलश को मंत्रों से पवित्र करें और उसकी पूजा करें।
- हनुमान जी की पूजा:
– हनुमान जी की प्रतिमा को स्नान कराएं और वस्त्र पहनाएं।
– चंदन, सिंदूर, और फूल अर्पित करें।
- तंत्र यंत्र स्थापना:
– हनुमान यंत्र को पूजा स्थल पर स्थापित करें। यंत्र को पवित्र जल और पुष्प से अभिषेक करें।
- मंत्र जाप और साधना:
– ब्राह्मण पुरोहित हनुमान जी के विशेष मंत्रों का जाप करेंगे, जैसे “ॐ हनुमते नमः”, “ॐ श्री हनुमते नमः”, या तांत्रिक मंत्र।
– मंत्रों की गणना के लिए जप माला का उपयोग करें।
- नैवेद्य और भोग अर्पण:
– हनुमान जी को नैवेद्य अर्पित करें। इसमें विशेष रूप से लड्डू, बर्फी, और फल शामिल करें।
- आरती और पूजन:
– हनुमान जी की आरती करें। दीपक को चारों दिशाओं में घुमाएं और पूजा की समाप्ति के बाद प्रार्थना करें।
- साधना और ध्यान:
– अनुष्ठान के अंत में साधना और ध्यान करें। हनुमान जी से आशीर्वाद प्राप्त करें और उनकी कृपा की कामना करें।
- अनुष्ठान के बाद:
– प्रसाद वितरण: पूजा के प्रसाद को भक्तों में वितरित करें और सभी को पवित्रता का अनुभव कराएं।
– धन्यवाद अर्पित करें: हनुमान जी और ब्राह्मण पुरोहितों को धन्यवाद अर्पित करें।
– ध्यान और शांति: अनुष्ठान के बाद ध्यान और शांति का अनुभव करें।
विशेष ध्यान दें:
– आध्यात्मिक भावना: अनुष्ठान को पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ करें।
– शुद्धता: पूजा और अनुष्ठान के दौरान शुद्धता बनाए रखें।
– गुरु का मार्गदर्शन: यदि संभव हो, तो किसी योग्य गुरु या तांत्रिक से मार्गदर्शन प्राप्त करें। अथवा काशीपुरम के माध्यम से इस अनुष्ठान को कराने पर आपको योग्य गुरु का सानिध्य प्रदान कराया जाएगा।
– काशीपुरम द्वारा अनुष्ठान कराये जाने पर अनुष्ठान सामग्री की व्यवस्था काशीपुरम ही करता है जिसके लिए अलग से किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है।
– काशी से बाहर व्यक्तिगत रूप से यह अनुष्ठान कराने पर ब्राह्मण पुरोहितों के आने जाने और रहने खाने की व्यवस्था यजमान को अलग से करनी पड़ेगी।
हनुमान जी का तांत्रिक अनुष्ठान एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली प्रक्रिया है जो विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक उद्देश्यों के लिए की जाती है। यह न केवल भौतिक सुख और समृद्धि को लाता है, बल्कि आत्मिक उन्नति और सुरक्षा का भी आश्वासन देता है।
अतिरिक्त जानकारियां :
– यह अनुष्ठान काशीपुरम के विद्वान् ब्राह्मणों द्वारा आयोजित कराया जाएगा ।
– अनुष्ठान बुक करने के बाद काशीपुरम की टीम आपसे संपर्क करके विस्तृत जानकारी इकठ्ठा करेगी और आवयश्यकता पड़ने पर अनुष्ठान को आयोजित कराने वाले ब्राह्मण पुरोहित से भी बात कराया जाएगा।
– काशीपुरम के विद्वान् ब्राह्मण पुरोहितों द्वारा अनुष्ठान को पूरे विधि विधान से आयोजित कराया जाता है , इसका परिणाम व्यक्ति की भावना, उद्देश्य एवं सदुपयोग पर निर्भर करता है । अनुष्ठान की संक्षिप्त विधि इसके लाभ और संक्षिप्त जानाक्रियां ऊपर दी हुई हैं जिससे अनुष्ठान कराने वाले भक्त के मन में कोई संशय न रहे। 100 में से 99 लोगों को इसका अच्छा परिणाम मिलता है। व्यक्ति किस उद्देश्य या भावना के साथ इस अनुष्ठान को कराना चाहता है, यह उसकी नीयत, गृह दशाएं, भाग्य एवं प्रारब्ध पर निर्भर करता है। यदि उद्देश्य या भावना सही नहीं है और प्रकृति या भगवान् की मर्जी किसी काम में नहीं रहती है तो इसका परिणाम नहीं भी मिल पाता है। इसका परिणाम मिलना न मिलना भगवान् के हाथ में है। हम भगवान् के सेवक मात्र हैं, कर्म करना हमारा काम है फल देना ईश्वर के हाथ में है। कोई भी अनुष्ठान आपकी सहायता मात्र के लिए है। पूर्णतः अनुष्ठानों या उपायों के अधीन न रहें,
धन्यवाद !